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अवसाद की फैलती विषबेल-- मनीषा सिंह

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2015 में एक रिपोर्ट जारी करके दुनिया को चेताया था कि डिप्रेशन यानी अवसाद दुनिया की सबसे बड़ी मानसिक बीमारी बनने जा रहा है। अकसर ऐसी स्वास्थ्य-रिपोर्टों और चेतावनियों पर हमारी नजर नहीं जाती, या वक्त के साथ हम उन्हें भूल जाते हैं, पर इनसे जुड़े हादसे साबित करते हैं कि इन चेतावनियों को याद रखना कितना जरूरी है। जैसे, दिल्ली के नजदीक हरियाणा के...

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न्यायपालिका की गरिमा के प्रतिकूल - एनके सिंह

यह भारत की ही नहीं, दुनिया की न्याय बिरादरी में एक भूकंप की मानिंद था। भारत में न्यायपालिका और खासकर सर्वोच्च न्यायालय एक ऐसी संस्था है, जिस पर समाज का बहुत अधिक भरोसा है। जब कोई हर संस्था से न्याय की उम्मीद छोड़ चुका होता है, तो वह सर्वोच्च न्यायालय की ओर निहारता है, लेकिन शुक्रवार को इस न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा आनन-फानन एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया जाता...

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किताबों से दूर जाती पीढ़ी-- हरिवंश चतुर्वेदी

वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा नजदीक है, जिस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा के साथ पुस्तकों व कलम की भी पूजा होती है। नए वर्ष के आगमन के साथ पुस्तक मेलों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले का समापन हो चुका है। अगले दो-तीन महीनों में कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पटना और भुवनेश्वर जैसे महानगरों में होने वाले पुस्तक मेलों में...

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अधूरे बदलाव और शोषण की कथाएं- विभूति नारायण राय

पुलिस की कठोर, उबाऊ और यांत्रिक दैनंदिनी में कई बार आपका साबका मानवीय जीवन के ऐसे कारुणिक पक्ष से पड़ता है कि आप अंदर-बाहर भीग जाते हैं। बरसों तक वे आपकी स्मृति का अंग बने रहते हैं। ऐसा ही एक अनुभव 1989 के इलाहाबाद कुंभ के दौरान मुझे हुआ था। हर 12 साल पर लगने वाले कुंभ के दौरान माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में गंगा-यमुना के संगम तट पर एक अद्भुत...

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कहीं बैंकों से भरोसा ना उठ जाय-- बिभाष कुमार श्रीवास्तव

अमेरिका में आए 2008 के वित्तीय भूचाल से पूरी दुनिया में अफरा-तफरी मच गई थी। बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को सरकार ने बेल-आउट पैकेज के माध्यम से उबारा। बेल-आउट का जबर्दस्त विरोध किया गया। लोगों ने कहा कि ‘करदाताओं' के पैसे से किसी विफल होती संस्था को उबारना नैतिक खतरे (मोरल हजार्ड) पैदा करता है। तब वित्तीय मामलों के जानकारों की तरफ से ‘बेल-इन' की नई अवधारणा पेश की गई।...

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