SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 116

लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाले- तवलीन सिंह

राहुल गांधी के कहने पर सरकार ने अपना अध्यादेश वापस ले लिया पिछले सप्ताह। जिस दिन से राहुल जी ने अध्यादेश के खिलाफ आवाज उठाई, उस दिन से ही तय हो गया कि ऐसा होना ही था, लेकिन ऐसा लगने लगा है मुझे कि दिल्ली में बैठे कई वरिष्ठ राजनीतिक पंडितों को अपनी 'बकवास' पर विश्वास होने लगा है। सो अध्यादेश के वापस लिए जाने के अगले दिन अखबारों की सुर्खियों...

More »

नया भूमि अधिग्रहण कानून ज्यादा कारगर

कोलकाता : नया भूमि अधिग्रहण कानून किसानों व आदिवासियों की चिंताओं को दूर करने में ज्यादा प्रभावी होगा. भूमि अधिग्रहण कानून 1984 की तुलना में नये कानून में पुनर्वास के लिए एक नया उपबंध भी शामिल किया गया है. कानून के तहत यह सुनिश्चित है कि किसानों की जमीन जबरन नहीं ली जायेगी. ये बातें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मंगलवार को कहीं. वह महानगर स्थित प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय...

More »

रत्नों के धंधेबाजों का भांडा फोड़ने वाले थे नरेन्द्र दाभोलकर

पुणे। अपनी हत्या के पहले सामाजिक आंदोलनकारी नरेंद्र दाभोलकर ने एक और भंडाफोड़ू मुहिम की योजना बनाई थी। वे नामनिहाद ज्योतिषियों के रत्नों और ‘पत्थरों’ के जबरदस्त कारोबार के खिलाफ अभियान छेड़ना चाहते थे, ताकि लोगों को इनकी असलियत का पता चल सके। पुलिस को शक है कि इस गोरखधंधे से जुड़े लोग भी वारदात में शामिल हो सकते हैं। गुरुवार को उनकी संस्था महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (मानस) के पुणे...

More »

गरीबी और सरकारी अमानवीयता- एम जे अकबर

यह इनसानी स्वभाव है कि व्यक्ति अगर अच्छे मूड में हो, तो वह अपने सहयोगी को इंतजार कर रही त्रासदी से बचाने में गर्व महसूस करता है. एक दागदार व्यक्ति को सतत रूप से जारी फिजूल तमाशे से बचाना एक अच्छा मौका हो सकता है. संभवत: वक्त आ गया है जब हम सब मिल कर 28 साल पहले दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान लोगों को हत्या और...

More »

विकास के मॉडल पर कुछ विचार- रविभूषण

र्षों पहले गुन्नार मिर्डल ने ‘एशियन ड्रामा' में लिखा था- ‘औपनिवेशिक सत्ता-व्यवस्था के बिखराव और स्वतंत्र राष्ट्रीय राज्यों के स्वत: उभरने का यह अर्थ नहीं है कि इन भूतपूर्व उपनिवेशों में कोई बड़ा सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हो.' यह आज भी सच है. स्वतंत्र भारत में कोई बड़ा सामाजार्थिक परिवर्तन नहीं हुआ है. ब्रिटिश शासकों द्वारा निर्मित ढांचा, जिसे बदलने में नेहरू ने 1950-51 में अपनी असमर्थता प्रकट की थी और उस ‘साहस'...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close