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चंदेरी साड़ियां बुनने वाले 5 हजार हैंडलूम लॉकडाउन, 10 हजार से ज्यादा बुनकर बेरोजगार

-गांव कनेक्शन,  चंदेरी की मशहूर साड़ियां बुनने वाली भावना कोली के पास दो हैंडलूम हैं,लेकिन आजकल उनमें साड़ियां नहीं बुनी जाती। हथकरघे पर चिप्स के पैकेट टंगे रहते हैं, कमरे की बाकी जगह में परचून का सामान दिखता है। दो महीने से हैंडलूम का काम बंद होने के बाद उन्होंने घर चलाने के लिए अपने जनरल स्टोरी की दुकान को बढ़ा लिया है। लॉकडाउन के चलते पिछले 02 महीनों में अपनी...

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इंटरव्यू / सरकार को लॉकडाउन से पहले प्रवासी मजदूरों को घर भेजना चाहिए था, रिवर्स माइग्रेशन से अब वे देर से लौटेंगे, लेकिन लौटेंगे जरूर: प्रो. चिन्मय तुंबे

-भास्कर, दुनियाभर में माइग्रेशन के लिए चर्चित किताब ‘इंडिया मूविंग: अ हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन’ के लेखक और आईआईएम अहमदाबाद में प्रोफेसर चिन्मय तुंबे से इस वक्त कई राज्य सरकारें माइग्रेंट्स को लेकर पॉलिसी मेकिंग में एडवोकेसी-कंस्लटेंसी ले रही हैं। तुंबे का मानना है कि कोविड-19 के चलते बेशक दुनियाभर में लॉकडाउन हुआ, लेकिन पूरी दुनिया में माइग्रेंट्स के साथ ऐसा बुरा कहीं नहीं हुआ, जैसा भारत में हुआ। माइग्रेशन के विभिन्न पहलुओं...

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घरेलू उड़ानों की शुरुआत: ज्यादा किराया और उड़ान रद्द होने से परेशान मुसाफिर

-न्यूजलॉन्ड्री,  कोरोना संक्रमण को कम करने के मकसद से लगाए गए लॉकडाउन के पूरे दो महीने बाद सोमवार 25 मई से देश में घरेलू उड़ानों की इजाजत मिली जिसके बाद एयरपोर्ट पर चहल-पहल नज़र आई. मुसाफिर अपने घरों को लौटने के लिए बेताब दिखे. दोपहर के 12 बज रहे हैं. इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री के सामने फ्लाइट का इंतजार करने वालों की लम्बी भीड़ है. इन चेहरों पर इंतजार से...

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लखनऊ: काम की तलाश में मजदूर, लॉकडाउन में ही गांव के पास के कस्बों-शहरों की ओर लौटना शुरू

-गांव कनेक्शन,  लॉकडाउन के दो महीने बीत चुके हैं। एक ओर जहाँ अभी भी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों में फँसे हैं और किसी भी तरह अपने गाँव, अपने घर लौटना चाहते हैं। दूसरी ओर लॉकडाउन में अपने गांवों तक पहुँचने में कामयाब हुए मजदूर फिर काम की तलाश में अपने आसपास के कस्बों-शहर लौटने को मजबूर हो रहे हैं। लॉकडाउन के बाद भारत आजादी के बाद सबसे बड़ा...

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कोरोना महामारी के समय दिल्ली के पंजीकृत निर्माण मजदूरों को नहीं मिल पा रहा सरकारी योजनाओं का लाभ

-गांव कनेक्शन,  दिल्ली के इंदिरा विकास कॉलोनी में रहने वाले 32 वर्षीय प्रमोद दास लॉकडाउन की बढ़ती अवधि से चिंतित हैं। प्रमोद निर्माण के क्षेत्र में दिहाड़ी-मज़दूरी करते हैं। वह कहते हैं, "पहले तो प्रदूषण के कारण काम बंद रहा। अब कोरोना वायरस के कारण काम मिलना बंद हो गया है। हम लोग दिहाड़ी-मज़दूरी करते हैं, काम नहीं मिलेगा तो कहां से खाएंगे?" कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर...

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