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नर्मदा का नाद -- मेधा पाटकर

विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक नर्मदा घाटी आज भी समृद्ध प्रकृति के लिए मशहूर है. घाटी में नदी किनारे पीढ़ियों से बसे हुए आदिवासी तथा किसान, मजदूर, मछुआरे, कुम्हार और कारीगर समाज प्राकृतिक संसाधनों के साथ मेहनत पर जीते आए हैं. इन्हीं पर सरदार सरोवर के साथ 30 बड़े बांधों के जरिये हो रहे आक्रमण के खिलाफ शुरू हुआ जन संगठन नर्मदा बचाओ आंदोलन के रूप में पिछले 25...

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राजनैतिक मर्यादा की प्रतिमूर्ति-योगेंद्र यादव

सुरेंद्र  मोहन जी की चिता जलती देखकर फ़िर एक बार मन में विचार आया. इंडिया गेट पर ’अमर जवान ज्योति’ की तरह देश में कहीं-न-कहीं एक गुमनाम राजनैतिक कार्यकर्ता का स्मारक भी बनना चाहिए. बदन पर सादा, बिना प्रेस किया कुर्ता-पाजामा, पैर में रबड़ की चप्पल, कंधे पर झोला और आंखों में चमक. मूर्ति के नीचे लिखा जा सकता है ‘पूर्णकालिक राजनैतिक कार्यकर्ता’. जैसे सुरेंद्र मोहन जी थे.और कुछ नहीं तो...

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अलख जगाती एक यात्रा-- मेधा

११ दिसंबर दिन शनिवार का है। बापू की समाधि राजघाट पर जनमेला लगा है। देश भर से लोग अपनी रंगत, अपने लिबास, अपनी भाषा में विविधता संजोए आए हैं। कुछ है जो रंग-बिरंगी विविधता से भरे इन लोगों के मन को एकरस बना रहा है। सब के दिलों में एक ही तमन्ना धड़क रही है। और वह तमन्ना है - शस्य श्यामला ध्रती की उर्वरा-शक्ति, उसकी जीवंतता को बचाने की,...

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विस्थापन

खास बातें-     दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...

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क्या सोचा क्या पाया

जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं?  नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...

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