गरीबों के बच्चे मवेशी चराते हैं और चटाई बुनते हैं, वे शहर के कूड़ागाहों और ट्रैफिक सिगनल्स पर पाए जाते हैं, ईंट-भट्टे और कोयला खदानें आमतौर पर उनके काम करने की जगहें होती हैं। जब हमारे बच्चे स्कूलों में पढ़ाई करने जाते हैं, तब गरीबों के बच्चे रोजी-रोटी के लिए मशक्कत कर रहे होते हैं। लेकिन बड़ी अजीब बात है कि हमने महज इस संयोग के आधार पर इन बच्चों की इस...
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कृष्ण और सुदामा के नए रिश्ते- राजकिशोर
अमीरों और गरीबों के बच्चे पहले भी साथ-साथ पढ़ते थे। इसका सबसे मशहूर उदाहरण कृष्ण और सुदामा की जोड़ी है। कृष्ण राजकुल के थे और सुदामा एक गरीब ब्राह्मण की संतान। दोनों के प्रति गुरु तथा गुरुकुल के अन्य संवासियों के व्यवहार में कुछ अलग अलगपन था या नहीं, इसके विवरण आज उपलब्ध नहीं हैं। पर यह जरूर प्रसिद्ध है कि कृष्ण और सुदामा के बीच गजब की दोस्ती थी। किसी अन्य अमीर...
More »कितना मुफ्त कितना अनिवार्य- विजय विद्रोही
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में शिक्षा के अधिकार कानून की वैधानिकता बरकरार रखते हुए देश के हर गरीब बच्चे की उम्मीदें जगाई हैं। शिक्षा के अधिकार को पूरी तरह से कामयाब बनाने के लिए अगले पांच वर्षों में करीब दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें से 65 प्रतिशत केंद्र और 35 प्रतिशत राज्य सरकारें वहन करेंगी। जिस देश में छह से चौदह वर्ष तक की उम्र के...
More »बढ़ती बेरोजगारी के बीच-गिरीश मिश्र
नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
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नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
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