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जहर खा रहा हर भारतीय!

वर्ष 1966-67 में समूचे देश में सूखे की स्थिति व्याप्त हो गयी थी. उस समय देश की 48 करोड़ आबादी को खिलाने के लिए हमारे पास समुचित खाद्यान्न उपलब्ध नहीं था. ऐसी स्थिति में विदेशों से खाद्यात्र मंगाने की मजबूरी बन रही थी. यह परंपरा अधिक दिनों तक किसी भी स्थिति में चलनेवाली नहीं थी. इसलिए खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए उसके उत्पादन में वृद्धि करना अनिवार्य आवश्यकता बन...

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गुजरात में दोगुनी पैदावार देगी मक्का की हाईब्रिड किस्म

वैज्ञानिकों ने मक्का की नई हाईब्रिड किस्म विकसित की है। इसकी खासियत दोगुने से ज्यादा पैदावार देने की इसकी क्षमता है। गुजरात के आनंद कृषि विश्वविद्यालय (एएयू) द्वारा विकसित इस किस्म के मक्का की खेती राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में हो सकती है। गुजरात आनंद यलो हाइब्रिड मैज-1 (जीएवाईएचएम) नामक इस बीज को प्रदेश के बारिश सिंचित उत्तर व मध्य क्षेत्र में खरीफ सीजन में रोपी जा सकती है। इसके बारे...

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अपनी छोड़ दूसरे की खेत में कर रहे हैं मजदूरी, 10 साल में 3 लाख लोग ने छोड़ी है किसानी

रायपुर। छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश में तीन लाख किसानों ने खेती छोड़ दी है। इतना ही नहीं राज्य में 10 साल पहले जहां 30 लाख लोग दूसरे के खेतों में मजदूरी करते थे। वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 50 लाख हो गई है। हालांकि इस अवधि में यहां की कुल आबादी में 47 लाख की वृद्धि हुई है। उस समय राज्य की आबादी 2.08 करोड़ थी जो बढ़कर अब 2.55 करोड़ हो...

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निजी कंपनियों के हवाले मौसम!

भारत की आधी से ज्यादा आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है और कृषि मॉनसून पर. देश की कुल कृषि भूमि का 55 प्रतिशत वर्षा जल पर निर्भर है. लेकिन अभी तक मॉनसून के पूर्वानुमान के शास्त्र को पूरी तरह साध पाने में सफलता नहीं मिली है. पिछले साल सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि पिछले चार साल से भारतीय मौसम विभाग के मॉनसून के पूर्वानुमान के आंकड़े वास्तविकता...

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सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?

भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...

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