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न्यूज क्लिपिंग्स् | अपनी छोड़ दूसरे की खेत में कर रहे हैं मजदूरी, 10 साल में 3 लाख लोग ने छोड़ी है किसानी

अपनी छोड़ दूसरे की खेत में कर रहे हैं मजदूरी, 10 साल में 3 लाख लोग ने छोड़ी है किसानी

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published Published on May 3, 2013   modified Modified on May 3, 2013

रायपुर। छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश में तीन लाख किसानों ने खेती छोड़ दी है। इतना ही नहीं राज्य में 10 साल पहले जहां 30 लाख लोग दूसरे के खेतों में मजदूरी करते थे। वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 50 लाख हो गई है। हालांकि इस अवधि में यहां की कुल आबादी में 47 लाख की वृद्धि हुई है। उस समय राज्य की आबादी 2.08 करोड़ थी जो बढ़कर अब 2.55 करोड़ हो गई है। यह तथ्य छत्तीसगढ़ जनगणना 2011 के अंतिम आंकड़े में सामने आए हैं।

राज्य बनने के बाद खेती की स्थिति में गिरावट आई है। परिवार बंटने के साथ ही किसानों की जमीन टुकड़ों में बंट जाती रही है। इसलिए वे जमीन इन छोटे टुकड़ों को बेच रहे हैं। यही वजह है कि 10 साल पहले यहां की 44.5 फीसदी जनता अपनी जमीन पर खेती करती थी। अब केवल 32.9 फीसदी लोग ही अपनी जमीन पर खेती कर रहे हैं। तीन लाख लोगों ने खेती छोड़कर दूसरा रोजगार तलाश लिया है या फिर मजदूरी कर रहे हैं।

 

जनगणना के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि राज्य बनने के बाद जिस गति से उद्योग-धंधे खुले हैं, उस गति से रोजगार के अवसर नहीं बढ़े। गांवों में आबादी घटी है, लेकिन खेतिहर मजदूरों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। अभी 50 लाख लोग दूसरे के खेतों में मजदूरी कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जब कुल आबादी में से 121.8 लाख लोग किसी न किसी कामकाज से जुड़े हैं, पहले इनकी संख्या 96.8 लाख थी।

खेती से ज्यादा मिलता है मजदूरी में : यादव

अर्थशास्त्री हनुमंत यादव का कहना है कि परिवारों के बंटवारे के कारण जमीन के टुकड़े छोटे होते जा रहे हैं। किसानों के पास इसके इतने छोटे हिस्से होते हैं कि उससे परिवार का गुजारा नहीं होता। अपने खेत से जितना उत्पादन लेकर वे लाभ कमाते हैं उससे ज्यादा उन्हें मजदूरी करने से मिल जाता है। दूसरे देशों में कृषि उत्पाद का समर्थन मूल्य अधिक होता है, इससे किसान एक एकड़ की खेती में ज्यादा लाभ कमा लेते हैं, लेकिन यहां लागत की तुलना में उत्पादन का मूल्य कम मिलता है। इसलिए किसान या तो खेत बेच रहे हैं या फिर खेती छोड़कर मजदूरी कर रहे हैं।
 

 

आदिवासियों का प्रतिशत घटा
वर्ग  2001 2011 अंतर
आदिवासी  31.76    30.62 -1.14
अनुसूचित जाति 11.61 12.82 1.21
 

देश की तुलना में कहां हैं 

 आबादी में छग देश में नौवें स्थान पर  ञ्च साक्षरता 70.3 प्रतिशत, देश में 28वें स्थान पर 
स्त्री-पुरुष अनुपात 991, देश में छठवें स्थान पर  ञ्च कामकाज में महिलाओं की भागीदारी 47.68 प्रतिशत, देश में तीसरे स्थान पर

 

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

सबसे ज्यादा साक्षरता दर 79.1 प्रतिशत दुर्ग जिले में 
प्रदेश में शहरों की आबादी 3.1 प्रतिशत बढ़ी, गांवों की 3.1 प्रतिशत घटी
राज्य बनने के बाद आठ लाख लोगों को मिली नौकरी

नई जनगणना के अनुसार सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में नौकरी करने वालों की संख्या 29 लाख है। यह पहले 20.80 लाख थी। यानी 10 सालों में आठ लाख 20 हजार लोगों को नौकरी मिली। इसमें सवा लाख शिक्षाकर्मियों, 40 हजार पुलिस बल समेत तीन लाख लोग सरकारी नौकरी में हैं। करीब पांच लाख लोगों को सर्विस सेक्टर, उद्योग और अन्य निजी क्षेत्रों में मिली है। कुल आबादी से तुलना करें तो पहले 21.5 प्रतिशत लोग स्थाई नौकरी करते थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 23.8 प्रतिशत हो गई है।


http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-harvest-dropped-by-3-million-in-10-years-4253287-NOR.html


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