अहमदाबाद. गुजरात में स्कूलों में बच्चों को अश्लील जोक्स पढ़ाए जा रहे हैं। यह चौंकाने वाला सच गुजरात के सरकारी प्राइमरी स्कूलों का है, जहां पिछले दो महीनों से बच्चे अश्लील जोक्स पढ़ रहे हैं। इन स्कूलों में पढ़ रहे अभिभावकों को इस बात की चिंता है कि इससे उनके बच्चों की मानसिकता पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। दरअसल, सर्व शिक्षा अभियान के तहत पांचवीं तक के बच्चों को बाल साहित्य के नाम...
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सरकार की आंख पर बंधी काली पट्टी, भगवान भरोसे हुई शिक्षा!
शिमला. प्रदेश के सरकारी विभागों में करीब 34 हजार पद खाली हैं। शिक्षा विभाग में सबसे अधिक 8,587 पद रिक्त हैं। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग में भी 3222 पद खाली हैं। ये पद कई सालों से नहीं भरे गए हैं। लोनिवि में डिविजनल अकाउंटटेंट के 3 पद 15 साल से खाली हैं। बिजली बोर्ड में इस वक्त 2240 पद रिक्त हैं। तृतीय श्रेणी के 2057, द्वितीय श्रेणी के 18 और प्रथम श्रेणी...
More »विकास का पैसा कहां जाता है- विनीत नारायण
राज्य सरकारों ने 'वाटरशेड’ कार्यक्रम की जो रिपोर्ट भेजी है, उससे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश सहमत नहीं हैं। बंजर भूमि, मरूभूमि और सूखे क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए केंद्र सरकार हजारों करोड़ रुपये राज्य सरकारों को देती आई है। लेकिन जिले के अधिकारी और नेता मिलीभगत से सारा पैसा डकार जाते हैं। झूठे आंकड़े राज्य सरकारों के माध्यम से केंद्र सरकार को भेज दिए जाते हैं। आईआईटी के पढे़ श्री रमेश को कागजी...
More »इस प्रतिबंध के बड़े खतरे- योगेन्द्र यादव
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के कार्टून पर मचा हंगामा पिछले हफ्ते भर से एक विडंबना की शक्ल में मेरी सोच से लगातार टकरा रहा है. राष्ट्रीय पाठय़पुस्तकों में शायद पहली बार आंबेडकर को भारतीय गणतंत्र के प्रमुख संस्थापकों के तौर पर दिखाने की कोशिश की गयी थी. लेकिन, संसद में इस कोशिश पर ही इस दलील के साथ हमला बोला गया कि किताब में शामिल एक कार्टून उनका अपमान करता है....
More »गरीबी, खाद्य सुरक्षा और कैश ट्रांसफर- रितिका खेड़ा
कुछ महीने पहले योजना आयोग की गरीबी रेखा पर काफी चर्चा हुई हैं. उच्चतम न्यायलय में दायर हलफनामे में योजना आयोग ने कहा कि 2011 की सरकार की गरीबी रेखा- ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए- जीवनयापन यानी खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त है. आज से पहले किसी भी सरकार ने यह दावा नहीं किया कि गरीबी रेखा जीवन बिताने के लिए पर्याप्त...
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