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राजस्थान इस कठिन समय में अपने लोक कलाकारों का साथ देने के नाम पर उनके साथ मजाक क्यों कर रहा है?

-सत्याग्रह,  जोधपुर के विश्व प्रसिद्ध लोक कलाकार सुगनाराम भोपा हताश हैं. ‘सिरकार (सरकार) हमे कैसे-कैसे बेइज्जत करती है? मैं अनपढ़ हूं. रावणहत्था बजाकर अपने बच्चों का पेट भरता हूं. मेरे पास ये झूंपड़ी हैं. सिरकार कह रही है कि लोक कलाकार वीडियो बनाकर भेजे. उनको 2500 रु मिलेंगे. मैं क्या करूं? न तो मेरे पास ऐसा फ़ोन है जो वीडियो बना सके ओर न ही मेरे को चलाने का पता’ वे...

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घरेलू उड़ानों की शुरुआत: ज्यादा किराया और उड़ान रद्द होने से परेशान मुसाफिर

-न्यूजलॉन्ड्री,  कोरोना संक्रमण को कम करने के मकसद से लगाए गए लॉकडाउन के पूरे दो महीने बाद सोमवार 25 मई से देश में घरेलू उड़ानों की इजाजत मिली जिसके बाद एयरपोर्ट पर चहल-पहल नज़र आई. मुसाफिर अपने घरों को लौटने के लिए बेताब दिखे. दोपहर के 12 बज रहे हैं. इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री के सामने फ्लाइट का इंतजार करने वालों की लम्बी भीड़ है. इन चेहरों पर इंतजार से...

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इंटरव्यू / सरकार को लॉकडाउन से पहले प्रवासी मजदूरों को घर भेजना चाहिए था, रिवर्स माइग्रेशन से अब वे देर से लौटेंगे, लेकिन लौटेंगे जरूर: प्रो. चिन्मय तुंबे

-भास्कर, दुनियाभर में माइग्रेशन के लिए चर्चित किताब ‘इंडिया मूविंग: अ हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन’ के लेखक और आईआईएम अहमदाबाद में प्रोफेसर चिन्मय तुंबे से इस वक्त कई राज्य सरकारें माइग्रेंट्स को लेकर पॉलिसी मेकिंग में एडवोकेसी-कंस्लटेंसी ले रही हैं। तुंबे का मानना है कि कोविड-19 के चलते बेशक दुनियाभर में लॉकडाउन हुआ, लेकिन पूरी दुनिया में माइग्रेंट्स के साथ ऐसा बुरा कहीं नहीं हुआ, जैसा भारत में हुआ। माइग्रेशन के विभिन्न पहलुओं...

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पथ का साथी: लौट रहे प्रवासी गांव में क्या करेंगे, मनरेगा कितना देगा साथ?

-डाउन टू अर्थ,  डाउन टू अर्थ हिंदी के रिपोर्टर विवेक मिश्रा 16 मई 2020 से प्रवासी मजदूरों के साथ ही पैदल चल रहे हैं। उन्होंने इस दौरान भयावह हकीकत को जाना और समझा। वे गांव की ओर जा रहे या पहुंच चुके प्रवासियों की पीड़ा जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वे कभी अब शहर की ओर रुख करने की हिम्मत भविष्य में जुटा पाएंगे? उनके इस सफर को...

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लखनऊ: काम की तलाश में मजदूर, लॉकडाउन में ही गांव के पास के कस्बों-शहरों की ओर लौटना शुरू

-गांव कनेक्शन,  लॉकडाउन के दो महीने बीत चुके हैं। एक ओर जहाँ अभी भी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों में फँसे हैं और किसी भी तरह अपने गाँव, अपने घर लौटना चाहते हैं। दूसरी ओर लॉकडाउन में अपने गांवों तक पहुँचने में कामयाब हुए मजदूर फिर काम की तलाश में अपने आसपास के कस्बों-शहर लौटने को मजबूर हो रहे हैं। लॉकडाउन के बाद भारत आजादी के बाद सबसे बड़ा...

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