बर्फ का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक आमतौर पर हंसमुख और व्यावहारिक होते हैं। पीटर वदाम्स भी अपवाद नहीं हैं। स्कॉट पोलर रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक और कैंब्रिज में ओशन फिजिक्स के इस प्रोफेसर ने अपना पूरा जीवन बर्फ की दुनिया को जानने-समझने में बिताया है, और अपनी इस यात्रा में उन्होंने कई अकल्पनीय बदलाव देखे हैं। 1970 में जब वह पहली बार ध्रुवीय अभियान पर निकले, तब आर्कटिक महासागर...
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घर तक आयी गंगा, तो उड़ गयी शहर की नींद
पटना : गोलघर से दीघा तक गंगा की धार को राजधानी की सड़क से दूर रखने के लिए वर्षों पहले सुरक्षा बांध का निर्माण किया गया था. लेकिन, आज गंगा की पेटी यानी बांध के भीतर में हजारों घर बन गये हैं. इसमें एक बड़ी आबादी रह रही है, जो कि गंगा के बढ़े जल स्तर से डरी-सहमी है. रात के अंधेरे में गंगा नदी का डरावना तेज बहाव इनको...
More »दो मोर्चों पर सबसे ज्यादा नाकाम रहे नरेंद्र मोदी-- तवलीन सिंह
रियो में फिर वही हुआ, जो अक्सर होता है भारतवर्ष के साथ ओलंपिक खेलों में। यानी छोटे-छोटे देश हमारे विशाल देश से ज्यादा पदक हासिल कर जाते हैं। इस बार दो महिलाओं ने लाज बचाई, वरना शायद खाली हाथ लौट कर आते हमारे खिलाड़ी। जैसा अक्सर होता है, जब भारतवासी दुनिया के मुकाबलों में नाकाम होते हैं, विशेषज्ञ निकल कर आए अपने बिलों से विश्लेषण करने। सो, इस बार हमको...
More »भ्रष्टाचार और प्रदूषण का खनन-- रामचंद्र गुहा
जब नई सदी की शुरुआत हुई, तो मेरे गृह राज्य कर्नाटक में आर्थिक उदारीकरण के ‘पोस्टर बॉय' थे- एन आर नारायण मूर्ति। मध्यवर्गीय परिवार से निकले इस शख्स के पास उद्यमशीलता का कोई पारिवारिक अनुभव नहीं था। नारायण मूर्ति ने अपनी जैसी सोच वाले छह अन्य लोगों को जोड़ा और इन्फोसिस की नींव रखी। बहुत मामूली शुरुआत हुई थी इसकी, मगर साल 2000 तक इस कंपनी का मुख्यालय न सिर्फ बेंगलुरु...
More »लुप्त होती तटीय सुरक्षा पंक्ति--- रमेश कुमार दुबे
इस साल अच्छी मानसूनी बारिश से जहां किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इस बाढ़ की वजह अच्छी बारिश उतनी नहीं है जितनी कि विकास की अंधी दौड़ में पानी के कुदरती निकासी तंत्र को भुला दिया जाना। शहरों का विकास नदियों के बाढ़ क्षेत्रों, तालाबों व समीपवर्ती कृषि भूमि की कीमत पर हो रहा है। शहरों के...
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