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बूंद-बूंद पानी के लिए रातभर जागती हैं महिलाएं

-इंडिया वाटर पोर्टल, भारत का जल संकट किसी से छिपा नहीं है। हर साल गर्मियों के दौरान जल संकट का भयानक रूप सामने आता है। इस बार ऐसे समय में जल संकट गहराने लगा है, जब भारत सहित पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से लड़ रही है। किसी इलाके में दो दिन में एक बार पानी की सप्लाई की जा रही है, तो कुछ इलाकों में दिन में एक बार ही नलों...

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राशन की व्यवस्था सुधरी, लेकिन मनरेगा रोज़गार अभी भी हर गाँव तक नहीं पहुंचा - भोजन का अधिकार अभियान सर्वेक्षण

-भोजन का अधिकार अभियान, झारखण्ड, मई 2020 के दुसरे और तीसरे सप्ताह के दौरान भोजन के अधिकार अभियान, झारखंड के सदस्यों ने राज्य के मूल जन सुविधाओं (जैसे राशन दुकान, मनरेगा, दाल-भात केंद्र, सामुदायिक रसोई, बैंक आदि) की स्थिति का दूसरा सर्वेक्षण किया; 22 ज़िलों के 46 प्रखंड से प्रेक्षकों ने फ़ोन के माध्यम से अपने क्षेत्र की जानकारी दी. पिछले माह अप्रैल के पहले सप्ताह में 19 जिलों के 50 प्रखंडों में जन सुविधाओं का पहला सर्वेक्षण किया गया था.सर्वेक्षण में पाए गए तथ्यों का...

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क्या सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जनजातियों को मिले अधिकारों को बोझ समझता है?

-द वायर, चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का हालिया फैसला हमें एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है. राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के वर्ष 2000 के...

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मजदूर, प्लंबर और ब्यूटीशियन: कोरोना के बाद गांव लौटे प्रवासियों को रोजगार देने के लिए यूपी में महाभियान

-गांव कनेक्शन, सिर्फ़ मज़दूर नहीं, 23 लाख लोग जिनमें प्लंबर, इलेक्ट्रिशन, ब्यूटीशियन, जिम ट्रेनर, नर्स आदि शामिल हैं, पैदल, बसों में, ट्रेन में, ट्रकों के पीछे चढ़ कर महानगरों से उत्तर प्रदेश के अपने गांवों में वापस आ चुके हैं, और इस सवाल से जूझ रहे हैं- आगे क्या? लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गांव-गांव जाकर लाखों लोगों की "स्किल मैपिंग" का देश में सबसे बड़ा महाभियान शुरू...

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मजदूरों की घर वापसी से बिहार में शुरू हो सकता है ज़मीन का ख़ूनी संघर्ष

-न्यूजलॉन्ड्री, जून 2019 की एक दोपहर बिहार के बांका जिले के चांदपुर गांव की रहने वाली 25 वर्षीय पूनम दिल्ली के प्रेस क्लब में अपनी दो साल की बेटी को लेकर खड़ी थीं. बेटी के शरीर पर कई दाग निकले हुए थे. उस दिन बंधुआ मजदूरों को छुड़ाने वाले एक स्वयंसेवी संगठन की प्रेस कांफ्रेंस थी. पूनम खुद एक बंधुआ मजदूर थी, लेकिन मजदूरों को वहां से निकालने में उनकी बड़ी...

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