नई दिल्ली। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि आधे से ज्यादा परिवारों के दो से ज्यादा बच्चे नहीं हैं। सोमवार को जारी की गई 2011 की जनगणना के आंकड़ों से यह बात सामने आई है। 54 फीसद विवाहित महिलाओं के दो या इससे कम बच्चे हैं। साल 2001 की जनगणना के आंकड़ों से तुलना करें, तो उस वक्त 46.6 फीसदी माताओं के दो या इससे कम बच्चे...
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दिशा तो सही लेकिन कुछ जरूरी बातों की अनदेखी - डॉ. भरत झुनझुनवाला
बजट में कई अच्छी घोषणाएं की गई हैं जैसे ग्रामीण विद्युतीकरण एवं सड़कों में निवेश में वृद्धि, गरीबों को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराना, जिले स्तर पर डायलिसिस की व्यवस्था करना, नए कर्मियों के लिए कंपनियों को प्रॉविडेंट फंड में अनुदान देना, हाईवे, रेल, पोर्ट एवं एयरपोर्ट में निवेश बढ़ाना इत्यादि। वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छूट दी है, जबकि एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की है। यह कदम सही दिशा...
More »टैक्स इतना ले लिया, दोगे कितना!-- अनिल रघुराज
आजाद भारत का पहला बजट नवंबर 1947 में पेश किया था. तब से लेकर अब तक के 68 सालों में अगर देश के कोने-कोने तक सड़क, बिजली, पानी व सिंचाई का भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसा सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं पहुंचा है, तो इसके लिए हम और हमारे बाप-दादा ही दोषी हैं. हम सिर नीचा किये गाय की तरह घास चरते रहे. कभी सिर उठा कर पूछा नहीं कि...
More »शिक्षकों के गले में लटके पत्थर जैसा एमडीएम
मध्याह्न भोजन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के गले में लटका एक बड़ा पत्थर है. न तो इन शिक्षकों को इसकी व्यवस्था का प्रशिक्षण है, ना ही अधिकतर शिक्षकों की इसमें कोई रुचि है. अन्य सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं में जहां भी भोजन पकाने-परोसने की व्यवस्था है, वहां यह व्यवस्था इस कार्य के लिए प्रशिक्षित लोगों के हाथ में हैं, परंतु इससे भी कठिन काम सरकार...
More »महिलाओं के मुंह अंधेरे उठकर जाने की मजबूरी कब तलक - मनीषा सिंह
छत्तीसगढ़ में एक संक्षिप्त कार्यक्रम पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 104 साल की एक बुजुर्ग महिला कुंवर बाई का सम्मान करके एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। कुंवर बाई ने अपनी आठ बकरियां बेचकर अपने घर में शौचालय बनवाया था और गांव को स्वच्छता के बारे में जागरूक किया था। असल में गांव-देहात में महिलाओं के लिए शौचालय एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन जागरूकता के तमाम प्रयासों...
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