अगर आप जानना चाहते हैं कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में किसानों का आक्रोश सड़कों पर क्यों उबल रहा है तो किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सवाल पर तैयार की गई एक रिपोर्ट आपके बड़े काम की हो सकती है. 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सवाल पर गठित एक समिति की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों को कुछ प्रमुख फसलों से होने वाली शुद्ध आमदनी में...
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किसानों पर भारी पड़ी तंत्र की लापरवाही, फसल बीमा ही नहीं मिला
भोपाल। प्रदेश में पिछले साल खराब हुई खरीफ फसलों के लिए हजारों किसानों को पात्र होते हुए भी प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं मिल पाया। सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते प्रभावित किसानों का फसल बीमा दावा ही नहीं बन पाया। दरअसल, राजस्व अधिकारियों ने फसल के बोए क्षेत्र और बीमित क्षेत्र का डाटा दर्ज करने में लापरवाही बरती। नतीजा यह हुआ कि बीमा कंपनियों में इनके दावे ही प्रस्तुत नहीं हो...
More »फसल अच्छी हुई फिर भी किसान की प्रतिदिन आय केवल 82.5 रुपए
सारंगपुर (प्रदीप जैन/अकरम अंसारी)। खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आय को दोगुना करने की बातें केवल प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के भाषणों तक सिमटी नजर आती हैं। किसानों की वास्तविक स्थिति देखें तो हालात कुछ और ही दिखाई देते हैं। वर्तमान में खेती-किसानी लाभ का धंधा तो दूर की बात आजीविका चलाने का साधन तक नहीं बन पाई है। किसानों की प्रतिदिन आय को देखकर यह अंदाजा...
More »बापू के नाम एक चिट्ठी-- योगेन्द्र यादव
बापू, आपको यह चिठ्ठी मैं आपके जन्मदिन पर आपके ही आश्रम से लिख रहा हूं. 100 साल पहले चंपारण सत्याग्रह के केंद्र के रूप में आपने भीतरवाह में यह केंद्र बनाया था. आश्रम की इमारत अब भी कायम है. अब भी उसे कंक्रीट और संगमरमर से ढका नहीं गया है. आश्रम की काया में आपकी सादगी आज भी झलकती है. चंपारण सत्याग्रह की याद में बना संग्रहालय दरिद्र, बेतरतीब और...
More »पशुपालन से टूटता मोह--- रीता सिंह
यह चिंताजनक है कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन के प्रति लोगों की अरुचि बढ़ती जा रही है। मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2007 में पशुओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी लेकिन उसके बाद इनकी...
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