रायपुर। भादो मास में हो रही लगातार बारिश से छत्तीसग़ढ़ की खेती-किसानी संभलने लगी है। एक ओर सूखती फसलों के लिए ये बारिश संजीवनी का काम कर रही है, वहीं रबी की फसलों के लिए भी ये जमीन तैयार कर रही है। खेती के जानकारों का कहना है कि लंबी अवधि की फसलों के लिए यह पानी फायदेमंद है। पिछले चार दिनों की बारिश से राज्य के जलाशयों में पानी भर...
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बच्चों की सेहत : कुछ और आगे बढ़े हम-- ज्यां द्रेज
हाल ही में जारी रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) के निष्कर्षों में मुख्यधारा की मीडिया ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली. यह दुखद है, क्योंकि सर्वेक्षण के निष्कर्षों में सीखने के लिए काफी कुछ हैं. तीसरा नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस) करीब दस साल पहले 2005-06 में संपन्न हुआ था. चौथे एनएफएचएस के पूरा होने में लगी भारी देरी से भारत के सामाजिक आंकड़े बहुत पुराने हो गये हैं. सौभाग्य...
More »जानिए क्या होता है जीडीपी, यह दर्शाता है देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर
जीडीपी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को समझने का सबसे अच्छा तरीका है। जीडीपी का अर्थ होता है सकल घरेलू उत्पाद यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट। जो एक दी हुई अवधि में किसी देश में उत्पादित, आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त अंतिम माल और सेवाओं का बाजार मूल्य है। यह एक आर्थिक संकेतक भी है जो देश के कुल उत्पादन को मापता है। देश के प्रत्येक व्यक्ति और उद्योगों द्वारा किया...
More »58 साल में मात्र ढाई फीसदी बढ़ी दालों की खेती
नई दिल्ली। दालों की बढ़ती कीमतों के लिए इस साल भले ही रबी फसल पर पड़ी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार को जिम्मेदार बताया जा रहा हो, लेकिन आंकड़ों के अनुसार, इसका प्रमुख कारण सालों से दालों की खेती की अनदेखी है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व खाद्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही हैं। गेहूं का रकबा 164 फीसदी और धान का रकबा 36 फीसदी बढ़ा आधिकारिक आंकड़ों...
More »कम हो पाएगा स्कूली बस्तों का बोझ?- उमेश चतुर्वेदी
राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतरते हुए ढेर सारे वायदे करते हैं। लेकिन अगर वे चुनाव जीतकर सरकार बना लेते हैं, तो तमाम वायदे भूलने लगते हैं। स्कूली बस्ते से बोझ हटाने का वायदा भी ऐसा ही है। करीब 27 साल से लटकी इस योजना को अब तक किसी सरकार ने गंभीरता से लागू करने की कोशिश नहीं की। पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले दिनों यह घोषणा...
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