रांची के इटकी प्रखंड इलाके के एक गांव की 60 वर्षीया महिला टीबी से ग्रस्त हैं. दुर्भाग्य से इस महिला को एचआइवी एड्स भी है. पिछले दिनों तबीयत काफी बिगड़ने के बाद उन्हें रांची स्थित रिम्स में इलाज के लिए भरती कराया गया. हालांकि वे फिलहाल ठीक हैं और टीबी और एचआइवी का उनका इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य कर्मी उनके नियमित संपर्क में रहते हैं और अपने क्षेत्र भ्रमण...
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बिना बिचड़े, बिना पानी के धान की खेती- राहुल सिंह
रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड के कुच्चू गांव के किसान बालक महतो झारखंड में कृषि जगत के जाने-पहचाने नाम हैं. राज्य की राजधानी रांची के बड़े कृषि संस्थान कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय व पलांडू स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय केंद्र के ज्यादातर वैज्ञानिक बालक महतो के खेती को लेकर उनकी योग्यता व योगदान के कारण अच्छे से जानते हैं. इन संस्थाओं में उन्हें छात्रों को संबोधित करने के...
More »अब निजी स्कूलों में भी मिड डे मील
रांची: देश के निजी स्कूलों में भी अब मध्याह्न् भोजन दिया जायेगा. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. भारत सरकार की मध्याह्न् भोजन योजना के निदेशक गया प्रसाद ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. रांची में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा : फिलहाल देश के 196 जिलों में योजना शुरू की जायेगी. इसके तहत एससी, एसटी व अल्पसंख्यक बहुल जिलों को चिह्न्ति किया गया है. झारखंड में फिलहाल...
More »कहां चूक गये हम ? - श्रीश चौधरी
आजादी के 66 वर्षो बाद भी शिक्षा जैसे बुनियादी विषय पर समाज की ऐसी दयनीय स्थिति चिंता व खेद का कारण है. हमारी गरीबी, हमारा पिछड़ापन, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में हमारे उत्साह एवं प्रयास के अभाव का ही परिणाम है. स्वतंत्रता के बाद ही ऐसे कदम उठाये जाने चाहिए थे, ऐसी नीतियां बननी चाहिए थीं, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सर्वव्यापी बनाते. परंतु वैसा नहीं हुआ. परिणाम सामने है - जिस समाज की...
More »आदिवासी विमर्श का दायरा- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 25 नवंबर, 2013 : बढ़ता कृषक असंतोष, छिटपुट विस्फोटों से प्रकट हो रहा है- भू-स्वामियों के बढ़ते शोषण और दमन के विरोध में सशस्त्र प्रतिरोध की तरफ बढ़ता हुआ यह घटनाचक्र पूरे देश के पैमाने पर, विशेषकर आदिवासियों की तरफ फैलता जा रहा है।’ क्या शीर्षक (आदिवासी: शोषितों में सबसे बुरी स्थिति) समेत इन पंक्तियों के बारे में यह ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है कि ये कब लिखी गई होंगी?...
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