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लॉकडाउन के बाद अब मौसम की मार झेलने को मजबूर किसान, कई राज्यों में बारिश-ओले

-डाउन टू अर्थ, लॉकडाउन की वजह से फसल की कटाई और खरीद में देरी से परेशान किसानों पर एक और आफत टूटी। 25 अप्रैल की रात और 26 अप्रैल की सुबह कई राज्यों में भारी बारिश और आंधी की वजह से काफी फसल खराब हो गई, बल्कि फसल खरीद केंद्रों में भी गेहूं खराब होने की आशंका जताई जा रही है। डाउन टू अर्थ ने राज्यवार फसल के नुकसान का जायजा...

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कोरोना वायरस: WHO ने ठीक हुए मरीज़ों को लेकर दुनिया को क्यों चेताया

-बीबीसी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि सरकारों को कथित "इम्युनिटी पासपोर्ट" या "जोखिम-मुक्त सर्टिफिकेट" लॉकडाउन में ढील देने के लिए जारी नहीं करना चाहिए. WHO ने कहा है कि इस बात का 'कोई सबूत नहीं' मिला है कि जिन लोगों में संक्रमण से ठीक होने के बाद एंटीबॉडी विकसित हो गया है, उन्हें दोबारा संक्रमण नहीं होगा और वो इससे सुरक्षित हैं. संगठन ने चेताया है कि इस तरह के...

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एशिया की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी का सूरते हाल

-न्यूजलॉन्ड्री, सुबह के आठ बजे हैं, 2020 के मार्च की 27 तारीख है. नोवेल कोविड-19 का भय है. बारिश का महीना नहीं है फिर भी इस महीने हुई यह चौथी बारिश है. हम राष्ट्रीय राजधानी के पूर्वी हिस्से में हैं और करीब 27 किलोमीटर का सफर तय करके एशिया की सबसे बड़ी मंडी आजादपुर जाने वाले हैं. एक गाड़ी में कुल तीन लोग बड़ी सावधानी और सतर्कता से बैठे हैं. अपने...

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कोविड-19 संकट के बीच मजदूरों को आर्थिक सहयोग देने की वित्तीय क्षमता रखती है भारत सरकार

-द प्रिंट,  कोरोनावायरस केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नई चुनौती बन कर सामने आया है. इसके मद्देनजर अर्थशास्त्रियों ने भी सरकार के सामने कई तरह के सुझाव रखे हैं. आर्थिक विशेषज्ञों ने एक बात स्पष्टता से रखी है- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित सहयोग पैकेज कामगार जनता को भूख से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आगे बहुत छोटा है. यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई), अन्न...

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कभी घर-घर सर्वे, कभी थोड़ी जासूसी, कभी ढोलक की थाप: कौन हैं ये गुमनाम "कोरोना वॉरियर्स", महामारी से लड़ती हुई ये दस लाख की पैदल सेना ?

-गांव कनेक्शन,  खबर पक्की थी। फोन गुपचुप आया था, "दीदी हमारे पड़ोस में बंबई से आये हैं।" उत्तर प्रदेश के अटेसुआ गाँव में शहर से वापस आये मजदूरों को कायदे से 14 दिन के लिए क्वारंटाइन होना था, लेकिन ग्राम प्रधान ने उनके तुरंत आने पर ऐसा नहीं करवाया था। गाँव की आशा कार्यकर्ता कुसुम सिंह (48) को पता था कि अगर प्रधान पर उन्होंने सीधे ऊँगली उठाई तो उनका विरोध...

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