जनसत्ता 15 जून, 2013: बूर्जुआ राजनीतिक दलों और पुलिस प्रशासन की नजर में उग्रवादी, आतंकवादी, नक्सली और माओवादी, सभी एक हैं। उनकी नजर में तो यथास्थितिवाद का विरोध करने वाला हर आदमी नक्सली है। लेकिन इन सब में फर्क है। सबों के राजनीतिक दर्शन और लक्ष्यों में अंतर है। मोटे रूप में कहा जाए तो देश में सक्रिय उग्रवादी और आतंकवादी संगठन देश का विखंडन चाहते हैं, अलग देश की...
More »SEARCH RESULT
अगले सीजन में भी चीनी उत्पादन घटने के आसार
भारत में चीनी का उत्पादन 8 फीसदी घटकर 232 लाख टन संभव : यूएसडीए पूर्वानुमान उत्पादन में कमी से चीनी हो सकती है महंगी चीनी के मुकाबले गुड़ के दाम रहेंगे ज्यादा भारत चीनी के मामले में आयातक देश बनेगा महाराष्ट्र में उत्पादन घटेगा जबकि यूपी में बढ़ेगा पिछले मार्केटिंग सीजन 2012-13 में चीनी उत्पादन में कमी आने के बाद अब अगले सीजन वर्ष 2013-14 में भी चीनी उत्पादन घटने का अनुमान है। अमेरिकी कृषि विभाग...
More »हुनरमंद कामगारों को मिलेंगे डिप्लोमा-डिग्री सर्टिफिकेट
नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। सरकार ने अगले नौ सालों में देश के 50 करोड़ युवाओं को कुशल कामगार बनाने का फैसला तो कर लिया,लेकिन तीन साल बाद भी कुछ ठोस नतीजे सामने नहीं हैं। अलबत्ता भविष्य की जरूरतों व चुनौतियों के मद्देनजर स्किल्ड डेवलपमेंट के जरूरी उपायों की कोशिशें जरूर जारी हैं। उसी सिलसिले में योजना एक वर्कर्स टेक्निकल यूनीवर्सिटी खोलने की है। मकसद, युवाओं को कौशल विकास में डिप्लोमा,...
More »ऐसे तो 25 साल लगेंगे आमदनी दोगुनी होने में
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। देश की आर्थिक विकास दर ही पिछले एक दशक के तलहटी पर नहीं पहुंची है, बल्कि इसके साथ आम जनता की कमाई पर भी गहरी चपत लगी है। सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की विकास दर के हिसाब से देखें तो वर्ष 2012-13 के दौरान प्रति व्यक्ति आय में महज तीन फीसद की वृद्धि हुई है। जबकि इसके पिछले वर्ष यह वृद्धि दर 4.7 फीसद थी। इस...
More »स्वास्थ्य नीति की बीमारी-भारत डोगरा
जनसत्ता 25 मई, 2013: भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य क्षेत्र संकट की स्थिति में है। गांवों के लिए विशेष स्वास्थ्य मिशन स्थापित करने के बावजूद अधिकतर जरूरतमंद गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, या इन्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें असहनीय खर्च करना पड़ता है। इलाज पर आने वाला खर्च कर्जग्रस्त होने और गरीबी में धकेले जाने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इस...
More »