जयपुर। वेदांता समूह ने वर्ष 2011 में देश में सामाजिक विकास की परियोजनाओं के लिए करीब 500 करो़ड रूपये का बजट निर्धारित किया है। समूह ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उ़डीसा के ग्रामीण इलाकों के 1,20,000 से ज्यादा गरीब बच्चाों को पोषण आहार उपलब्ध कराने के लिए 3,000 आंगनव़ाडी केंद्रों को गोद लिया है। वेदांता रिसोर्सेज के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा, ""समूह अपनी वेदांता आंगनव़ाडी योजना, मध्यान्ह भोजन और कम्प्यूटर शिक्षा...
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कपास किसानों को तगड़ा मुनाफा
पंजाब के कपास किसानों के लिए यह वर्ष भी तगड़ा मुनाफे वाला साबित हो रहा है क्योंकि कपास के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,800 रुपये प्रति क्विंटल से लगातार ऊपर बने हुए हैं। वजह यह है कि विभिन्न मंडियों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कपास की आवक कम हो रही है। इस वर्ष 11 अक्टूबर तक राज्य की मंडियों में कपास की आवक तकरीबन 28 फीसदी कम...
More »मिलेंगे नोटिस
भीलवाड़ा। महात्मा गांधी नरेगा शुरू होने के बाद भीलवाड़ा जिले में दो वर्ष तक पंचायतों को जॉबकार्ड रजिस्टर जैसी महत्वपूर्ण स्टेशनरी उपलब्ध नहीं कराना जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी समेत संविदा पर लगे तकनीकी एवं लेखाकर्मियों को भारी पड़ गया है। विधानसभा की जनलेखा समिति के निर्देशों के आधार पर राज्य सरकार ने जिला कलक्टर को नरेगा योजना शुरू होने की तिथि एक अप्रेल 2008 से 21 अप्रेल 2010 तक...
More »लोकतंत्र के अनूठे उत्सव में भागीदारी का न्यौता
लोकतत्र का एक अनूठा उत्सव गांधी-जंयती यानी दो अक्तूबर से जयपुर में शुरु होने जा रहा है। इसमें देश भर से मीडिया प्रतिनिधि को आमंत्रित किया गया है। सूचना के अधिकार से संबंधित आरटीआई मंच और एमकेएसएस जैसे कुछ तृणमूल स्तर के संगठन गांधी-जयंती के दिन से एक शांतिपूर्ण धरने का आयोजन कर रहे हैं।लोकतंत्र के इस उत्सव ने देश के कई नामी-गिरामी लेखकों, संपादकों, विकासपरक मुद्दों के विचारकों और नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों सहित राजस्थान...
More »मनरेगा- कहीं नरम , कहीं गरम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) के बारे में ज्यादातर खबरें या तो उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार की होती हैं या फिर योजना की कारआमली में हो रही ढिलाई की। सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा पर कुल 40 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं लेकिन शहराती मध्यवर्ग का एक बड़ा तबका और जनमत-निर्माता इसी पसोपेस में हैं कि आखिर इन रुपयों से कुछ सार्थक हो भी रहा है या नहीं। नुक्ताचीनी की बातों...
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