रु पूर्णिमा के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक गुरुदक्षिणा स्वरूप कुछ राशि अपने इस संगठन को भेंट करते हैं। यह राशि (जो कुछ सिक्के भी हो सकते हैं या हजारों रुपए के नोट भी) एक सादे लिफाफे में दी जाती है, जो संघ कार्यालय के संचालन के लिए होती है। इसी से प्रचारकों का खर्चा भी निकलता है। अब मोदीजी के 'कैशलेस भारतमें क्या ऐसी दान राशि सिर्फ चेक...
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सियासी दलों के गुप्त चंदे पर रोक लगे
चुनावों में कालेधन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने की कवायद में जुटे चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से कानून में संशोधन की सिफारिश की है। आयोग ने सियासी दलों को दो हजार रुपये और इससे ज्यादा दिए जाने वाले गुप्त चंदे पर रोक लगाने की मांग की है। ऐसी पार्टियों को छूट हो: प्रस्तावित संशोधन चुनाव सुधार पर आयोग की सिफारिशों का हिस्सा है। उसने यह भी सुझाव दिया है कि...
More »राजनीतिक सुधार से डर किसको?-- उर्मिलेश
जब कभी संसद में गतिरोध, उलझाव व टकराव देखता हूं, तो बहुत हैरान या चकित नहीं होता. अपनी लोकतांत्रिक चुनौतियों की लगातार अनदेखी करते रहने का यह सब नतीजा है. बीते कई दशकों से हमारे नीति-निर्धारक और पार्टी-व्यवस्था के संचालक अपनी अंदरूनी राजनीतिक चुनौतियों को संबोधित करने से लगातार बचते रहे हैं. भारत ने अाजादी के बाद अपनी लोकतांत्रिक यात्रा की शुरुआत बहुत धीर-गंभीर ढंग से की थी. आजादी की...
More »स्थानीयता है कुंजी-- नीलम गुप्ता
जलवायु परिवर्तन, भूख, कुपोषण, बढ़ती गरीबी, घटते संसाधन, ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनसे आज सारी दुनिया जूझ रही है। अरबों रुपए इन समस्याओं के हल के लिए अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों पर खर्च किए जा चुके हैं। आगे भी किए जाएंगे। पर हल तब भी शायद ही निकले। तो क्या किया जाए? गांधी-विचारों में रची-बसी, स्वाश्रयी महिला सेवा संघ (सेवा), अमदाबाद की संस्थापक और गुजरात विद्यापीठ की चांसलर इला भट्ट के...
More »नोटबंदी की मार : बिहार के लोगों के हाथों से छिन गया काम..
पटना : नोटबंदी से राज्य से बाहर काम करनेवाले बिहार के कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. काम बंद होने से मजबूरी में उन्हें घर लौटना पड़ रहा है. आठ-10 वर्ष पहले भी दूसरे प्रदेशों में काम करनेवाले बिहार के कामगार बड़ी संख्या में घर लौटे थे, लेकिन उस समय वे बिहार के हालत में जो सुधार आया था, उससे प्रेरित होकर लौटे थे. उन्हें एक...
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