-द कारवां, जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता से बाहर हो गए हैं और जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे, अनंत गोयनका ने एक ट्वीट किया : मैं आशा करता हूं कि बाइडन की जीत के बाद अमेरिकी समाचार मीडिया अपने पक्षपातपूर्ण तरीके के बारे में आत्मावलोकन करेगा. वह केवल अपने प्रति वफादारों और ईको-कक्ष समुदाय के पाठकों के बजाय अवश्य ही सकल आबादी के विचारों का...
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लोकतंत्र की संरचना में ही असहमति गुंथी होती है
-सत्याग्रह, असहमति की व्याप्ति डेढ़ेक बरस पहले अहमदाबाद विश्वविद्यालय की अध्यापिका प्रतिष्ठा पण्ड्या ने फ़ोन कर बताया कि उन्होंने मेरे सम्पादन में आयी ‘इण्डिया डिसेण्ट्स’ संचयिता देखी है और मैं असहमति पर उनके छात्रों और सहकर्मियों से संवाद करने उनके द्वारा संचालित एक बौद्धिक सीरीज़ ‘नालन्दा’ में भाग लूं. जाना कई कारणों से नहीं हो पाया और फिर कोविड महामारी आ गयी. सो अब यह संवाद ऑनलाइन हुआ. छात्रों और अध्यापकों ने...
More »मनु का क़ानून और हिंदू राष्ट्र के नागरिकों के लिए उसके मायने
-द वायर, हाल ही में चेन्नई में भाजपा ने अपनी नई नेता खुशबू के नेतृत्व में तमिलनाडु के सांसद थिरुमावलवन द्वारा मनुस्मृति के बारे में की गई टिप्पणियों के विरोध में प्रदर्शन किया गया था. यह शायद भाजपा द्वारा मनुस्मृति के समर्थन में पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था. ऐसा लगता है कि संघ परिवार अब खुलकर इस पुरातन ग्रंथ के पक्ष मे हमलावर रुख अपनाकर सामने आना वाला है. दरअसल, 5 अगस्त 2019...
More »मुद्दों को मुंह चिढ़ाते नतीजे
-आउटलुक, बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर हमें आश्चर्य होना चाहिए। इसलिए नहीं कि एग्जिट पोल के नतीजे देखकर हमने कुछ और उम्मीदें पाल ली थीं, इसलिए नहीं कि मीडिया में आने वाली ग्राउंड रिपोर्ट सत्तारूढ़ गठबंधन की विदाई का संकेत दे रही थीं, इसलिए नहीं कि नतीजे हमारी आशा के अनुरूप नहीं थे। हमें राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन की एक और विजय पर आश्चर्य इसलिए होना चाहिए चूंकि यह नतीजा इतिहास के इस...
More »खत्म होने के कगार पर है 15वीं शताब्दी में विकसित एक प्राचीन और वैज्ञानिक व्यवस्था
-डाउन टू अर्थ, पश्चिमी राजस्थान के पारंपरिक जल प्रबंधों की गुण-गाथा तब तक पूरी नहीं होगी जब तक हम खड़ीनों की चर्चा न कर लें। यह बहुत पुरानी और वैज्ञानिक व्यवस्था है। शुष्क क्षेत्र के वैज्ञानिकों का मानना है कि इनकी आज भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। खड़ीन या धोरा की तकनीक 15वीं सदी में जैसलमेर के पालीवाल ब्राह्मणों ने विकसित की थी। दरबार उन्हें जमीन देते थे और...
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