-जनपथ, उसे हर उस चीज का बादशाह माना जाता था जिस पर उसकी नज़र जाती थी. सो उस सर्वशक्तिमान बादशाह केन्यूट [994-1035] ने उमड़ती आ रही लहरों को हुक्म दिया कि वे पीछे लौट जाएं और उसके राजसी चरणों और लिबास को गीला न करें. लेकिन बादशाह की दैविक शक्ति के बावजूद समुद्र की लहरों ने उसका हुक्म नहीं माना. मारे शर्मिंदगी के बादशाह के दरबारियों के सर झुके के झुके...
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कौन हैं वे किसान संगठन जो कृषि क़ानूनों पर मोदी सरकार को दे रहे हैं समर्थन?
-न्यूजलॉन्ड्री, 30 दिसंबर को केंद्र सरकार के मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बात होनी थी. ठीक उसके दो दिन पहले 28 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ‘फार्मर्स विथ मोदी’ हैशटैग के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, ‘लखनऊ उत्तर प्रदेश के ‘‘राष्ट्रीय युवा वाहिनी’’ से प्राप्त नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में प्राप्त पत्र.’ यह पत्र 'राष्ट्रीय युवा वाहिनी' के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष हरीश गौतम द्वारा लिखा गया...
More »संयुक्त किसान मोर्चा की सरकार को चेतावनी: अगर मांगे नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को दिल्ली में करेंगे ट्रैक्टर मार्च
-गांव कनेक्शन, नए कृषि कानूनों पर नई दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने अब सख्त रुख अपनाया है। किसान संयुक्त मोर्चा ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया और उनकी मांगें नहीं मानी गई तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर वे दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। इससे पहले 30 दिसम्बर को नए...
More »सूचना की महामारी, फैक्ट-चेक का हैंडवॉश और सत्य का लॉकडाउन
-न्यूजलॉन्ड्री, कुछ दिन पहले एक पत्रकार साथी का फोन आया था. वे दिल्ली के एक ऐसे शख्स की खोज खबर लेने को उत्सुक थे जिसे ज्यादातर अखबारों और टीवी चैनलों ने 9 अप्रैल, 2020 को मृत घोषित कर दिया था. मरे हुए आदमी को खोजना फिर भी आसान होता है, लेकिन ये काम थोड़ा टेढ़ा था. मित्र के मुताबिक वह व्यक्ति जिंदा था. कुछ अखबारों और चैनलों के मुताबिक वह मर...
More »नाराज किसान: मजबूत किसान मोर्चेबंदी
-आउटलुक, “नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की चौहद्दी और देश भर में मोर्चे पर डटे किसानों के पक्ष में बढ़ता जन समर्थन” शुरुआत में ट्रैक्टरों का एक छोटा काफिला एनएच 44 पर दिल्ली की ओर बस कुछ नारों और फौलादी इरादों के साथ बढ़ा चला आ रहा था। सामान्य हालात में उनका विरोध प्रदर्शन भी बाकी सेक्टरों जैसा ही मान लिया जाता, जिसकी देश में धारा शायद ही कभी टूटती...
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