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न्यूज क्लिपिंग्स् | कौन हैं वे किसान संगठन जो कृषि क़ानूनों पर मोदी सरकार को दे रहे हैं समर्थन?

कौन हैं वे किसान संगठन जो कृषि क़ानूनों पर मोदी सरकार को दे रहे हैं समर्थन?

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published Published on Jan 4, 2021   modified Modified on Jan 5, 2021

-न्यूजलॉन्ड्री, 

30 दिसंबर को केंद्र सरकार के मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बात होनी थी. ठीक उसके दो दिन पहले 28 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ‘फार्मर्स विथ मोदी’ हैशटैग के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, ‘लखनऊ उत्तर प्रदेश के ‘‘राष्ट्रीय युवा वाहिनी’’ से प्राप्त नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में प्राप्त पत्र.’

यह पत्र 'राष्ट्रीय युवा वाहिनी' के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष हरीश गौतम द्वारा लिखा गया था. क्या इस संगठन का कृषि से कुछ लेना देना है? इस सवाल का जवाब कृषि मंत्री द्वारा साझा पत्र पर ही मिल जाता है, जहां संस्थान के प्रमुख उद्देश्य के रूप में ‘गौशालाओं और अनाथ आश्रमों का निर्माण, गोरक्षा, भ्रष्टाचार उन्मूलन में सहभागिता’ लिखा हुआ है.

जिस संस्थान के प्रमुख उद्देश्य में कृषि शब्द का जिक्र तक नहीं है उनका कृषि कानूनों पर समर्थन लेना आखिर कृषि मंत्री को क्यों ज़रूरी लगा?

कड़ाके की ठंड के बावजूद लाखों की संख्या में देश के अलग-अलग राज्यों से आए किसान दिल्ली की सरहद पर एक महीने से ज्यादा से बैठे हुए हैं. आंदोलन से आए दिन ठंड से मौत की खबरें भी आ रही हैं. ऐसे में प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करने की कोशिश के साथ-साथ सरकार देश के दूसरे किसान संगठनों से समर्थन लेती नजर आ रही है.

इसी सिलसिले में 28 दिसंबर को नरेंद्र सिंह तोमर एक के बाद एक 12 ट्वीट करते हुए अलग-अलग ‘किसान संगठनों’ से कृषि कानूनों के समर्थन में मिला पत्र साझा करते हैं. यह समर्थन पत्र दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में किसान संगठनों के प्रमुखों ने उन्हें सौंपा था.

न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि इन 12 में से पांच संगठनों के प्रमुख भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं. एक संगठन खुद को बीजेपी का सहयोगी संगठन होने दावा करता है. इसके इतर हमने इन संगठनों की जमीन पर किसानों के बीच पकड़ जानने की कोशिश की.

राष्ट्रीय युवा वाहिनी

नरेंद्र सिंह तोमर को लिखे पत्र की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय युवा वाहिनी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित हरीश गौतम लिखते हैं, ‘‘राष्ट्रीय युवा वाहिनी (भारतीय जनता परिषद) सदैव ही भारतीय जनता पार्टी के सहयोग में रही है. आज राष्ट्रीय युवा वाहिनी किसान बिलों के समर्थन में सम्पूर्ण रूप से सरकार के साथ है.’’

हरीश गौतम साफ-साफ लिखते हैं कि उनका संगठन बीजेपी का सहयोगी संगठन है. यह बात उनके लेटर हेड पर भी लिखी हुई है. यानी केंद्रीय कृषि मंत्री जिस संगठन से कृषि बिलों पर समर्थन मिलने का दावा करते नजर आते हैं वो तो उनकी ही पार्टी से जुड़ा हुआ है.

बीजेपी के सहयोगी संगठन होने के दावे से अलग क्या राष्ट्रीय युवा वाहिनी का किसानों से कुछ लेना देना है? इसका जिक्र इस रिपोर्ट के पहले हिस्से में ही किया गया है. सगंठन अपना मुख्य उद्देश्य गौशालाओं और अनाथ आश्रमों का निर्माण, गोरक्षा, भ्रष्टाचार उन्मूलन में सहभागिता’ बताता है. हाल ही में लखनऊ के डूडा कॉलोनी में हिन्दू लड़की और मुस्लिम युवक के बीच परिवारों की रजामंदी के बावजूद शादी वाले दिन पुलिस को पत्र लिखकर शादी रुकवाने की मांग हिन्दू महासभा के अलावा इस संगठन यानी राष्ट्रीय युवा वाहिनी द्वारा भी किया गया था.

संगठन ने इस मामले को लव जिहाद और धर्मांतरण बताया था, लेकिन न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी रिपोर्ट में पाया की इस मामले में लव जिहाद और धर्मांतरण था ही नहीं. लड़की और लड़के का घर एक गली में दो घरों के अंतराल पर है. लड़के को लड़की का परिवार अच्छे से जानता है. इनकी शिकायत के बाद पुलिस तत्काल इस शादी को रुकवा भी देती

राष्ट्रीय युवा वाहिनी की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष केडी शर्मा संगठन के खेती-किसानी से जुड़ाव के संबंध में पूछे गए सवाल पर कहते हैं, ‘‘हमारे संगठन में किसान प्रकोष्ट भी है.’’

किसान प्रकोष्ट के प्रमुख के बारे में जानकारी मांगने पर शर्मा बताते हैं, ‘‘अभी तक इस पद पर कोई नहीं है. अलग से हमने किसी को भागीदारी नहीं दी है. सब ऐसा ही है.’’

क्या आपके संगठन ने कभी किसानों की मांग के लिए आंदोलन किया है. इस सवाल के जवाब में शर्मा कहते हैं, ‘‘किसानों के लिए आंदोलन तब करेंगे जब सरकार उनका अहित करेगी. ये सरकार तो किसानों हित में काम कर रही है. किसानों के लिए तरह-तरह की योजनाएं निकाल रही है. तो उसमें विरोध करने की ज़रूरत ही नहीं है. हमारा जो संगठन है वो बीजेपी का सहयोगी संगठन ही है. तो हम पहले अपनी बात कहेंगे. हक़ की लड़ाई लड़ने की ज़रूरत आएगी तो लड़ी भी जाएगी. इसमें कोई दिक्कत वाली बात नहीं है.’’

जब हम केडी शर्मा से बात कर रहे थे तो वो राकेश टिकैत के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने जा रहे थे. शर्मा का दावा है कि टिकैत ने ब्रह्मण समुदाय को लेकर गलत बयानी की है. शर्मा कहते हैं, ‘‘दिल्ली में जो प्रदर्शन हो रहा है उसमें किसान तो हैं ही नहीं. किसानों को विपक्ष बरगला रहा है.’’

अगर आप कृषि बिल के समर्थन में प्रदर्शन करें तो कितने किसान आपके साथ आ सकते हैं. इस सवाल के जवाब में शर्मा बताते हैं, ‘‘24 घंटे हमारे साथ एक हज़ार लोग ऐसे हैं जो कहीं भी प्रदर्शन करने आ सकते हैं. इसमें 250 किसान होंगे. 250 किसान हमारे साथ कभी भी आ सकते हैं.’’

राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन

नरेंद्र सिंह तोमर ने एक और पत्र साझा किया जो राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन द्वारा कृषि बिलों के समर्थन में लिखा गया है. पत्र को साझा करते हुए तोमर लिखते हैं, ‘‘लखनऊ उत्तर प्रदेश के ‘राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन’ से नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में प्राप्त पत्र. जिसमें कहा गया कि हम पूर्ण रूप से सरकार के साथ हैं.’’

एक तरफ जहां सरकार आंदोलन कर रहे किसानों नेताओं से बातचीत के बाद कानून में बदलाव के लिए तैयार है. उन किसान नेताओं को फर्जी बताते हुए पत्र में लिखा गया है कि हम कानून में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध करते हैं. यह कानून किसानों के हित में हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने वाला है.’’

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


बसंत कुमार, https://www.newslaundry.com/2021/01/03/farmers-protest-modi-government-kisan-organisation-narendra-singh-tomar


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