-डाउन टू अर्थ, कोरोनावायरस (कोविड-19) बीमारी की वजह से हमारे समाज की असमानता सामने नहीं आई है। मुक्त बाजार काल में इसे अस्तित्व के खतरे के तौर पर पहले ही स्वीकार किया जा चुका है। कोरोनावायरस की वजह से यह जरूर स्पष्ट हुआ है कि आर्थिक रूप से हाशिए पर खड़े लोगों को स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कैसे करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर हम अमेरिका की बात करें तो कई...
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कोरोना वायरस से भारत में पहली मौत, आंध्र प्रदेश भी पहुंची बीमारी, दिल्ली-हरियाणा में महामारी घोषित
जनज्वार, कर्नाटक के कलबुर्गी में 76 वर्षीय एक बजुर्ग की मौत हो गई है जो कोरोनावायरस से पीड़ित था. गुरुवार को अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. बुजुर्ग की मौत मंगलवार को ही हो गई थी, लेकिन उसके कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि गुरुवार को हुई. यह व्यक्ति 29 फरवरी को सऊदी अरब से भारत लौटा था और हैदराबाद एयरपोर्ट पर उसकी स्क्रीनिंग भी हुई थी. उस वक्त उसमें कोरोना के...
More »कोरोना वायरस के नाम पर भारत में कालाबाजारी शुरू
-जनज्वार, दिल्ली-एनसीआर सहित कोरोना वायरस के लगातार बढ़ रहे संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने के बीच सर्जिकल और एंटी पॉल्यूशन मास्क की कालाबाजारी चरम पर पहुंच गयी है। दिल्ली-एनसीआर में एन 95 मास्क की किल्लत की वजह जमाऱोरी है या नहीं, सरकार इस मामले की जांच करने जा रही है। दिल्ली में कोरोनावायरस का मामला सामने आने के बाद मास्क की मांग अचानक बढ़ने से इसके दाम भी दो से तीन गुना...
More »न्याय:कितना दूर-कितना पास
खास बात • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।* • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...
More »सवाल सेहत का
खास बात • सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** • अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** • तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** • सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...
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