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लोकतंत्र में शॉर्टकट नहीं होता : हर्ष मंदर

वह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण था, जब देशभर के मध्यवर्गीय युवा भ्रष्ट प्रशासन के प्रति आक्रोश व्यक्त करने के लिए एकजुट हुए। हमारा देश कई विरोध प्रदर्शनों का साक्षी रहा है। कुछ हिंसक तो कुछ शांतिपूर्ण। कुछ वेतन व भूमि के लिए तो कुछ आत्मसम्मान व मानवाधिकारों के लिए। लेकिन यह आंदोलन कुछ अलग था। दशकों बाद हमने शिक्षित और संपन्न युवाओं को इतने बड़े पैमाने पर...

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महिला सशक्तिकरण का यक्ष प्रश्न- डॉ. ऋतु सारस्वत

नई दिल्ली [डॉ. ऋतु सारस्वत]। भारत अपनी स्वतंत्रता के छह दशक बिता चुका है और इन वर्षो में भारत में बहुत कुछ बदला है। विश्व के सबसे मजबूत गणतंत्र में सभी को अपनी इच्छा से जीने, सोचने और अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता मिली है, जिसका हम उपभोग भी कर रहे हैं। हालाकि एक वर्ग ऐसा भी है जो आज भी इस सुखानुभूति से वंचित है और वह...

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शिक्षा की अलख जलाने वाले शिक्षक करते हैं बूट-पॉलिस

पाकुड़। हालात-ए-जिस्म सूरत-ए-खराब, वहां और भी खराब यहां और भी खराब ये पंक्ति सरकार को शर्मसार करने वाली सूबे की खराब हालात की एक ऐसी ही दास्तांन बयां करती है। ये दास्तांन है पाकुड़ के एक ऐसे शिक्षक की जो पिछले 25 वर्षो से शिक्षा की अलख जला रहे हैं, परन्तु इस एवज में यदि उन्हें कुछ मिला है तो बूट-पॉलिस का धंधा, गरीबी व जिल्लत भरी जिंदगी। जिले के अमड़ापाड़ा...

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टूटती सांसों के बीच करती है जूतों की मरम्मत

बांदा, गणतंत्र दिवस के 62वें सालगिरह पर देश भर में जहां जश्न और खुशियों का माहौल है, वहीं देश के कई हिस्सों में अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, तब जाकर मुश्किल से कहीं उनका पेट भरता है। एक ऐसी ही बुजुर्ग महिला चंद्रकली (85) है जो पिछले 40 साल से मोची का काम कर अपना गुजर बसर कर...

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