-आउटलुक हिंदी “खाद्य महंगाई दर दहाई अंकों में चली गई है। उपभोक्ता हित के लिए घरेलू किसानों की कीमत पर सस्ते आयात का रास्ता फिर खोला जा सकता है” डायरेक्ट यानी प्रत्यक्ष का रास्ता कई इनडायरेक्ट यानी अप्रत्यक्ष दिक्कतें लेकर आता है। यह बात कृषि क्षेत्र और किसानों के मामले में काफी हद तक लागू होती है। मसलन, सरकार को पता है कि दूध, गन्ना, आलू और प्याज जैसी फसल उगाने वाले...
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खेतों में खड़े गन्ने की कटाई के इंतजार में किसान
मुज्फ्फरपुर के हिराली गांव के किसान सुरेश चौधरी बताते हैं, हमने 12 बीघे में इस बार गन्ना लगाया है. फसल पूरी तरह तैयार है. एक महीने पहले ही हमने चीनी मिल से गन्ना बेचने के लिए पर्ची की अर्जी लगाई. लेकिन अब तक पर्ची नहीं मिली. शामली, मुजफ्फनगर की हरेक मिल में कोशिश कर चुके हैं. लेकिन अब तक पर्ची नहीं मिली. इस बीच में गन्ना खेतों में गिरने से...
More »खेतों में खड़ा है गन्ना तो किसान कैसे करें गेहूं की बुआई?
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान केवल लेट भुगतान की समस्या से ही त्रस्त नहीं हैं, बल्कि गन्ना मिल संचालकों एवं उनके कर्मचारियों की मनमानी से भी परेशान हैं। प्रदेश के कई जिलों में गन्ना किसानों को समय से पर्ची न मिलने की वजह से किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश के बस्ती, गोंडा, सिद्धार्थनगर, सुल्तानपुर सहित कई जिलों में किसानों के साथ इस तरह की दिक्कत...
More »इन नीतियों से कृषि नहीं उबरेगी
“नीतियों का फोकस बदलें और प्रतिबंधों से मुक्त कर किसान को अपनी बुद्धिमानी से चयन करने दें” कृषि क्षेत्र की नीतियां बनाने में खाद्य सुरक्षा पर फोकस रहा है। यह वाजिब भी है क्योंकि देश में खाद्य वस्तुओं की कमी और आयात पर निर्भरता से निपटने के लिए हरित क्रांति इसी वजह से शुरू की गई। वाजिब कीमत पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता हमारी नीतियों के केंद्र में रही और बाद...
More »कैसे साफ होगी गंगा?
‘गंगा नदी नहीं, मेरी मां है’, हाल में इस उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री ने गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाए जाने के लिए अपने कोष से सोलह करोड़ तिरपन लाख रुपए दान दिए। गंगा नदी के लिए किसी प्रधानमंत्री ने अपने कोष से इतनी बड़ी राशि दान दी हो, ऐसा पहले कभी देखने में नहीं आया। राष्ट्रीय गंगा परिषद् की कानपुर में हुई समीक्षा बैठक से पहले प्रधानमंत्री ने नमामि...
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