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मेट्रो कार शेड के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुए आदित्य ठाकरे, कहा- आरे की लड़ाई, मुंबई की लड़ाई है

दिप्रिंट हिन्दी, 10 जुलाई शिवसेना नेता ने कहा- जब हम सरकार में थे तब हमने इसी आरे में 808 एकड़ जंगल घोषित किया...आरे के कार शेड को अगर कांजुरमार्ग लेकर गए तो पैसे की भी बचत होगी और जंगल को भी बचाया जा सकेगा. मुंबई के गोरेगांव के आरे में मेट्रो कार शेड के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गया है. इस दौरान शिवसेना नेता और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्या ठाकरे इस...

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वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव, केंद्र वनवासियों की सहमति बिना पेड़ काटने की दे सकता है मंज़ूरी

द वायर हिन्दी, 10 जुलाई  वन संरक्षण अधिनियम-2022 के तहत लागू नए नियम बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि को डाइवर्ट करने की प्रक्रिया को सरल और संक्षिप्त बनाएंगे. इन नियमों के तहत जंगल काटने से पहले अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासी समुदायों से सहमति प्राप्त करने की ज़िम्मेदारी अब राज्य सरकार की होगी, जो कि पहले केंद्र सरकार के लिए अनिवार्य थी. केंद्र सरकार द्वारा जंगलों को काटने...

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मणिपुर लैंडस्लाइड ने रेल परियोजना पर उठाए सवाल, जंगलों की कटाई पर लोगों से नहीं ली सलाह

दिप्रिंट,5 जुलाई  14,000 करोड़ रुपये का इंफाल-जिरीबाम रेलवे प्रोजेक्ट पिछले हफ्ते नोनी जिले में घातक भूस्खलन की चपेट में आ गया. विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का मानना है कि इस त्रासदी के पीछे कहीं न कहीं यह परियोजना भी जिम्मेदार है. तुपुल/इंफाल: मणिपुर के पहाड़ी जिले नोनी में निर्माणाधीन तुपुल रेलवे स्टेशन के पास पिछले हफ्ते एक विनाशकारी भूस्खलन ने 111 किलोमीटर की महत्वाकांक्षी इम्फाल-जिरीबाम रेलवे परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए...

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जलवायु संकट में भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पना

-आइडियाज फॉर इंडिया, सभी देशों की तरह भारत के लिए भी, जलवायु परिवर्तन एक अत्यंत तेजी से बढती समस्या बन गई है। इस लेख के जरिये पिल्लई एवं अन्य तर्क देते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए भारत की संघीय प्रणाली की पुनर्कल्पना करने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत के संविधान में जलवायु संबंधी कई क्षेत्रों में राज्यों के महत्वपूर्ण कर्त्तव्य निर्धारित किये गए हैं। वे जलवायु नीति में संस्थागत सुधार...

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भोजन के लिए बच्ची को बेचने वाली फनस पुंजी से मिलने आए थे प्रधानमंत्री, लेकिन नहीं बदले हालात

-डाउन टू अर्थ, यह कहानी 27 जुलाई 1985 की दोपहर की उस बातचीत से शुरू होती है, जिसकी याद के साथ फनस पुंजी आज तक जी रही है। उनकी उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, उस बातचीत की आवाजें उनके कानों में और गूंजने लगती हैं। अब वह 70 साल की हैं और 37 साल पहले की वह बातचीत उनकी इकलौती स्मृति है। जैसे कि उनके जीवन में उसके अलावा और कोई बात...

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