1954-55 में जब भारत सरकार ने साहित्य अकादेमी की स्थापना की थी तब देश में कांग्रेस का शासन था। उसके संस्थापक-पितरों में जवाहरलाल नेहरू, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मौलाना अबुल कलाम आजाद और डॉ. जाकिर हुसैन जैसे राजनीतिक-सांस्कृतिक युगनिर्माता थे। बाद में कभी इंदिरा गांधी भी अकादेमी की सदस्य रहीं, जब वे केंद्रीय सूचना तथा प्रसारण मंत्री थीं। अकादेमी के संस्थापक-सचिव कृष्ण कृपालाणी थे, जो रबींद्रनाथ ठाकुर की एकमात्र संतान नंदिता के...
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एक योजना का निराधार हो जाना-- हरजिंदर
यूनीक आइडेंटिटी नंबर यानी आधार की राह कभी आसान नहीं थी। खासतौर पर आम लोगों ने इसके लिए काफी पापड़ बेले हैं। पांच साल पहले, जब कार्ड बनाने की शुरुआत हुई थी, तो इसका फॉर्म लेने के लिए ही लंबी लाइनें लगती थीं। फिर उंगलियों के निशान और आंखों की पुतलियों का स्कैन दर्ज कराने के लिए हफ्तों बाद का समय मिलता था। इतने इंतजार के बाद नियत समय पर पहुंचने...
More »देश के हृदय को बचाने की पहल- विनीत नारायण
विगत जनवरी में शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री की चहेती योजना ‘हृदय' की शुरुआत की। इस योजना का लक्ष्य देश के पुरातन शहरों को सजा-संवारकर दुनिया के आगे प्रस्तुत करना है, जिससे भारत की आत्मा यानी यहां की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण हो सके। इसीलिए अंग्रेजी में जो नाम रखा गया है, उसके प्रथम अक्षरों को मिलाकर ‘हृदय' शब्द बनता है। योजना का उद्देश्य प्रशंसनीय है, क्योंकि जागरूकता के...
More »सौ फीसदी कट-ऑफ मार्क्स! हद है... - प्रेमपाल शर्मा
पिछले कुछ वर्षों से पूरा देश सुन रहा है दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले की ऊंची कट-ऑफ के बारे में। हर वर्ष ऊंची होती कट-ऑफ अब शत प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। पहले एक-दो कॉलेज में कट-ऑफ 100 के करीब रहती थी, अब कई कॉलेजों में हो गई है। मान भी लें अच्छी बात है - बच्चे मेहनती, मेधावी हैं तो नंबर भी अच्छे लाएंगे, लेकिन दाखिले के...
More »सकारात्मक बदलाव का पहला साल - संजय गुप्त
नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और एक कुशल प्रशासक की उनकी छवि के बल पर भाजपा ने पिछले वर्ष आम चुनाव में अप्रत्याशित रूप से अकेले बहुमत हासिल किया था। अब जब मोदी सरकार अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा करने वाली है, तब उसके कामकाज को कसौटी पर परखा जाना स्वाभाविक है। मोदी सरकार के बारे में एक बात बिना किसी संदेह के कही जा सकती है कि उसने निराशा...
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