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मोहनदास से महात्मा तक--- श्रीभगवान सिंह

आमतौर पर यह धारणा प्रचलित है कि गांधीजी को पहली बार ‘महात्मा' से संबोधित किया रवींद्रनाथ ठाकुर ने। लेकिन धर्मपालजी अपनी पुस्तक में बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आने पर गांधी को पहली बार ‘महात्मा' के रूप में संबोधित किया गया 21 जनवरी 1915 को, गुजरात के जेतपुर में हुए नागरिक अभिनंदन समारोह में। इसमें प्रस्तुत अभिनंदन पत्र में ‘श्रीमान महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी' जैसे आदरसूचक शब्दों...

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अर्थव्यवस्था की आगे की राह-- अरविन्द कुमार सिंह

कृषि और विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण चालू वित्तवर्ष में विकास दर की रफ्तार साढ़े छह प्रतिशत पर थमने की आशंका एक बार फिर बढ़ गई है। यह अनुमान केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जताया है जिसके मुताबिक प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने की गति अत्यंत धीमी है और साथ ही विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घट कर छह साल के न्यूनतम स्तर (4.6 प्रतिशत) पर आ गई है।...

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इस बार दावोस इतना अहम क्यों है-- पुष्परंजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व आर्थिक फोरम के उद्घाटन के अवसर पर आज बीज वक्तव्य देंगे। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के ग्लोबल प्रमुख (प्रोग्रामिंग) ली हॉवेल ने एक पते की बात कही है कि ‘इस बार सम्मेलन में आए शासन प्रमुख बोलें कम और लोगों की सुनें ज्यादा।' प्रधानमंत्री मोदी के बीज वक्तव्य से आरंभ इस पांच दिवसीय सम्मेलन का समापन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषण से होगा। बीच में...

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पर्याप्त सरकारी मदद के जरिये ही पहुंच सकती हैं सभी तक स्वास्थ्य सेवाएं

भारत के विशाल और विविध भू-भागों में रहने वाली आबादी तक समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती रही है. इसमें बड़ी कमी सरकारों की रही है, जो अपने कुल बजट का महज एक फीसदी तक हिस्सा ही सार्वजनिक स्वास्थ्य मद में खर्च करती रही है. स्वास्थ्य क्षेत्र के समूच परिदृश्य समेत इससे संबंधित अन्य पहलुओं को इंगित कर रहा है आज का वर्षारंभ ... अनंत कुमार एसोसिएट प्रोफेसर,...

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बढ़ती अशांति और भ्रांति से बेचैन - मृणाल पांडे

साल 2017 समाप्ति पर है, लेकिन नई सदी के उपजाए सरदर्द घट नहीं रहे। पाकिस्तान में हर दो-तीन महीनों के भीतर कट्टरपंथी गुट उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों को मानव बम से उड़ा रहे हैं। म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्य जनता द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन भेड़-बकरियों की तरह देश से बाहर हांक दिया गया है और वे हर पड़ोसी देश की सीमा पर बेघर बने डांय-डांय डोल रहे हैं। पहले से ही...

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