-रूरल वॉइस, जिस तरह हरित क्रांति के समय अनाज उत्पादन बढ़ाने को प्रोत्साहन दिया गया था, उसी तरह अब समय आ गया है कि देश में दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन (आईपीजीए) के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने चौथे विश्व दाल दिवस पर गुरुवार को एक वर्चुअल कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज दालों को नीतिगत, शोध और निवेश के...
More »SEARCH RESULT
भारत के कमजोर होते लोकतंत्र से गंभीर बनता दिल्ली का वायु प्रदूषण
-कारवां, जैसे-जैसे सर्दियां दस्तक देने लगी थीं, वैसे-वैसे दिल्ली का अपना ही जहरीली हवा का मौसम शुरू होने लगा था. यह जहरीली हवा का मौसम दिवाली में पटाखों पर प्रतिबंध के खुले उल्लंघन के कारण और विषाक्त हो जाता है. प्रेस और दिल्ली के लिबरल शहरियों का आक्रोश और लाचारी का सालाना अनुष्ठान भी इसी मौसम के साथ आरंभ हो जाता है. पर्यावरणविद सरकार की यदा-कदा होने वाली और अप्रभावी कार्रवाई...
More »आईएमडी की नई रिपोर्ट: 2021 में भीषण मौसम की वजह से 1,750 भारतीयों की मौत
इस साल जनवरी के महीने में दिल्ली-एनसीआर में शीतलहर जैसी स्थिति के कारण 100 से अधिक बेघर लोगों की मौत हो गई (कृपया यहां और यहां देखें). हालांकि दिल्ली स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) ने यह दावा किया, और इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री को सर्दियों के दौरान बेघर गरीबों के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए कहा. हालांकि, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार के अधिकारी बोर्ड...
More »बुंदेलखंड में कुपोषण की समस्या पर नीति निर्माताओं को जरूर ध्यान देना चाहिए!
हाल की मीडिया रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को लगभग रु. 6,300 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, जिनमें झांसी में टैंक रोधी मिसाइलों के प्रणोदन प्रणाली के लिए 400 करोड़ रुपये का संयंत्र भी शामिल है. 18 नवंबर, 2021 को झांसी नोड (उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे से संबंधित) में पहली परियोजना के लिए नींव...
More »समावेशी कृषि हो 2022 के लिए विकास का रोडमैप
-रूरल वॉइस, अब देश के नीति निर्माताओं को अभी की जरूरत, वर्तमान संकट का उपाय जैसे शब्दों को नकार कर देश की समस्याओं के लिए स्थायी समाधान तलाशने होंगे। भ्रष्टाचार, निरक्षरता, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, घटता भूजल स्तर, वायु प्रदूषण, ठोस अवशेष, महिला सशक्तीकरण, बेरोजगारी, कृषि संकट, बाढ़, सुखाड़, लंबित न्याय, सकल घरेलू उत्पाद आदि मुद्दे आज देश के सामने हैं जिनको प्राथमिकता के आधार पर हल...
More »