सिलीगुड़ी [पवन शुक्ल]। बंगाल में गरीबी का लाभ उठाकर मानव तस्कर वहां अपनी पैठ बना चुके हैं। दूरदराज के गांवों की गरीबी और चाय बागानों की बंदी ने यहां के बच्चों के बचपन पर ग्रहण लगा दिया है। पापी पेट के लिए रोजगार की तलाश में भटक रहे बच्चों को खुद ही नहीं पता है कि वह कहां जा रहे हैं और यह भी नहीं जानते घर वापस आने की संभावना...
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न्यायालय ने केंद्र , राज्यों से 1.17 लाख ‘लापता’ बच्चों के मुद्दे पर जवाब मांगा
नयी दिल्ली, 16 मार्च (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय ने आज उस याचिका पर केंद्र , राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से जवाब मांगा जिसमें आरोप लगाया गया है कि 2008 और 2011 के बीच एक लाख से अधिक बच्चे अपने घरों से रहस्यमय ढंग से लापता हो गए । न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की पीठ ने गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की जनहित याचिका पर अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती...
More »लाल ईंटों की दीवार के परे : हर्ष मंदर
भारत के सबसे बेहतरीन बिजनेस स्कूलों में से एक आईआईएम अहमदाबाद के विशाल छायादार कैम्पस में लाल ईंटों की एक दीवार है। इस दीवार के दूसरी तरफ अनेक बेसहारा लोगों का बसेरा है। इनमें कचरा बीनने वाले, निर्माण श्रमिक और भिखारी शामिल हैं। मेरे एक छात्र ने इस विडंबना को रेखांकित करते हुए कहा था कि महज सौ मीटर के फासले पर दो अलग-अलग दुनियाएं बसी हैं। एक दुनिया वह है, जहां...
More »इंद्रधनु रौंदे हुए ये.. : हर्ष मंदर
सड़कों पर अपना जीवन बिताने वाले बच्चे साहसी जरूर होते हैं, लेकिन उन्हें अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए कड़ा संघर्ष भी करना पड़ता है। इनमें से अधिकांश बच्चे वे होते हैं, जो या तो शराबी या हिंसक पिता की प्रताड़नाओं से बचने के लिए घर से भाग आए हैं, या अपने सौतेले माता-पिता की उपेक्षा के शिकार हैं, या उनका परिवार किसी क्रूर घटना या हादसे की भेंट चढ़ गया...
More »गुम होते बच्चों की फिक्र किसे है- अजय सेतिया
जनसत्ता 14 दिसंबर, 2011: पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक अत्यंत गंभीर विषय पर चर्चा हुई। विषय था, देश में बच्चों के अपहरण की बढ़ रही घटनाएं। विषय की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्चों के अपहरण पर शोध आधारित पुस्तक का विमोचन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अल्तमस कबीर खुद मौजूद थे। इस गंभीर समस्या का सनसनीखेज खुलासा 1996...
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