अभिमान पर जरा सी चोट लगी थी तो महाभारत हो गया था- द्रौपदी इसकी साक्षी है. एक बार गोली खाना सहन हो सकता है, लेकिन तिरस्कार नहीं. हैदराबाद विमान तल पर राजीव गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री टी अंजैया का जो अपमान किया, उसके बाद कांग्रेस का तख्तापलट हो गया था. जनता ने माफ नहीं किया. अनुसूचित जातियां तो सदियों से यह अपमान झेलती आ रही हैं. जिन्हें अपनी जाति के...
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शिक्षा भी, मजदूरी भी-- कृष्ण कुमार
कहते हैं, शब्दों की अपनी दुनिया होती है। कवि और कहानीकार शब्दों के जरिए हमें किसी और दुनिया में ले जाते हैं। फिर कानून रचने वाले क्यों पीछे रहें? नए बाल मजदूरी कानून का प्रयास कुछ ऐसा ही है। यह कानून कहता है कि छह से चौदह वर्ष के बच्चे स्कूल से घर लौट कर किसी ‘पारिवारिक उद्यम' में हाथ बंटाएं तो इसे मजदूरी नहीं माना जाएगा। इस सुघड़ तर्क...
More »रिहाई के रास्ते--- मुजतबा मन्नान
अक्सर सलाह दी जाती है कि ‘कुछ भी करना भइया, लेकिन कोर्ट-कचहरी के चक्कर में कभी मत पड़ना।' घर-परिवार में भी बड़े-बुजुर्गों से समय-समय पर वकील, पुलिस और अदालतों को लेकर कहावतें और लोकोक्तियां सुनने को मिलती रहती हैं। एक संबंधी पर मुकदमा दर्ज होने के कारण मेरा पाला कचहरी से पड़ गया और इसकी जटिलताओं को अनुभव करना पड़ा। पुलिस स्टेशन से मुकदमे के कागज लेकर मैं वकील से...
More »चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन जरूरी--- शरत कुमार
हम सौभाग्यशाली हैं कि देश की चुनाव प्रक्रिया ही कार्यकारी राजनीतिक शक्ति का एक मात्र मार्ग है. हाल के साफ-सुथरे चुनावी परिणाम इसका सबूत हैं. हालांकि, चुनावी-प्रक्रिया में अनेक सुधारों के बावजूद आज भी आम जनता की राय में चुनावी प्रक्रिया देश की मूल खराबियों का मुख्य कारण है, जैसे कि सरकारी खजाने की चोरी, कालेधन की अपार महत्ता आदि. इन सब से जनता का चुनावी पद्धति और व्यवस्था में...
More »विवादों के जाल में मछुआरे-- पंकज चतुर्वेदी
पिछले दिनों भारत की दो नौकाओं और कोई दस मछुआरों को पाकिस्तान की समुद्री पुलिस ने पकड़ लिया, कहा गया कि वे उनके देश की सीमा में घुस आए थे। उसके दो दिन बाद ही कच्छ में बीएसएफ ने पाकिस्तान के अठारह मछुआरे पकड़े। कहा गया कि ये भारतीय सीमा में चौंतीस किलोमीटर भीतर घुस आए थे। पाकिस्तान के थट्टा जिले के शाहपुर ब्लाक के चचा जानखां गांव के इन...
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