इस समय जब वसंत अलविदा ले रहा है और एक नया संवत्सर दहलीज पर खडा है, वाक्वीर सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सरकार के सालाना आर्थिक सर्वेक्षण मसौदे को पहली बार एक गुलाबी जिल्द में प्रस्तुत किया। पर यह गौरतलब है कि उस मसौदे के अनुसार भारत की अपेक्षित कुल आबादी में से 6 करोड़ तीस लाख महिलाएं गायब हैं। इस गैरहाजिरी की जो मोटी वजह प्राप्त आंकड़ों से...
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गरीबी नहीं गैरबराबरी है चुनौती-- मृणाल पांडे
एक जमाना था, जब कक्षा से चुनावी भाषणों तक में ‘अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है?' जैसे जुमले सुनने को मिलते थे. भला हो राग दरबारी के लेखक श्रीलाल शुक्ल का, जिन्होंने इस उपन्यास के मार्फत आजादी के बाद हमारे बदहाल गांवों की असलियत दिखाकर इस पाखंड पर ऐसी चोट की कि पढ़ने-लिखनेवाले लोग इस भावुक और निरर्थक मुहावरे से बचने लगे. फिर ‘90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण...
More »अब स्वयं न्यायपालिका न्याय की कसौटी पर-- शेखर गुप्ता
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री हेरॉल्ड विल्सन की इस मशहूर पंक्ति को बदलने का लोभ हो रहा है कि ‘एक हफ्ता राजनीति में बहुत लंबा वक्त होता है।' मैं कहूंगा कि पिछला वीकेंड भारत के न्यायिक इतिहास में बहुत लंबा समय था। क्योंकि अपने सांस्थानिक प्रश्नों को सार्वजनिक बहस में लाने वाले चार जजों से पूछा गया कि इससे सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली कैसे प्रभावित होगी तो उन्होंने कहा कि वे...
More »बचत पर बाजार की नजर-- राजू पांडेय
अब आम आदमी का धन क्या बैंकों में सुरक्षित नहीं रहेगा? एफआरडीआइ विधेयक की बाबत इस सवाल पर चर्चा जारी है। सामान्यतया बैंक और उसके जमाकर्ताओं के हित परस्पर विरोधी नहीं होते, पर जब उद्योगपतियों को दिए गए विशाल कर्जों की माफी के लिए ‘बेलआउट पैकेज' और इस कारण दिवालियेपन के कगार पर पहुंचे बैंकों को बचाने के लिए ‘बेल इन' का सहारा लिया जाता है तब बैंकों और जमाकर्ताओं...
More »किसी भी राशन दुकान से अनाज ले सकेंगे उपभोक्ता, PDS सिस्टम में होगा सुधार
नई दिल्ली। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राशन चोरी रोकने और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर अनाज वितरण के लिए तकनीक के इस्तेमाल से कई फायदे मिल रहे हैं। आने वाले वक्त में समूचा तंत्र दुरुस्त होने पर उपभोक्ताओं को किसी भी राशन दुकान से अनाज खरीदने की छूट भी मिलेगी। राशन प्रणाली में सुधार विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कई मुद्दों पर सभी राज्यों ने आम सहमति जताई। समूची...
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