-कारवां, फुर्सत के नायाब पल में पांच दिसंबर 1956 की रात भीमराव आंबेडकर दिल्ली के अलीपुर रोड स्थित अपने किराए के मकान में रेडियोग्राम पर बज रही बौद्ध प्रार्थना को सस्वर दोहरा रहे थे, “बुद्धम शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि, संघम शरम् गच्छामि” कि तभी उनका रसोइया डिनर के लिए आने को कह कर उनका ध्यान-भंग करता है. उन्हें थोड़ा-सा चावल खाने के लिए बहुत मान-मनौव्वल करना पड़ता था. डाइनिंग टेबल तक...
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विश्व पर्यावरण दिवस 2021: महामारी में पर्यावरण की फिक्र
-डाउन टू अर्थ, महामारी के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के बारे में सोचना भी मुश्किल है। अपार मानवीय पीड़ा और हानि के इस समय में पर्यावरण की आखिर क्या बिसात है? लेकिन आइए इस विषय में सोचने के लिए हम थोड़ा समय निकालें। पिछले एक महीने में हमें जिस चीज की कमी सर्वाधिक खली वह था ऑक्सीजन। आइए हम उन दिनों एवं घंटों के बारे में सोचें जो हमने अपने...
More »कोरकू आदिवासी बहुल मेलघाट की पहाड़ियों पर कोरोना से ज्यादा कोरोना के टीके से दहशत!
-न्यूजक्लिक, अमरावती (महाराष्ट्र): "यहां यदि आप कोरोना के बारे में बातचीत करेंगे तो पता चलेगा कि लोग सरकारी अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं। कारण यह है कि लोगों को लगता है कि उन्होंने कोरोना का इलाज यदि सरकारी अस्पताल में कराया तो डॉक्टर उन्हें जिला अस्पताल अमरावती भेज देंगे, जहां उनका कोई इलाज नहीं होगा और वहां उन्हें बीमार रखे-रखे मार दिया जाएगा। फिर मौत के बाद उनकी लाश तक घर...
More »लगातार बढ़ रही हैं जंगलों में आग की घटनाएं!
जंगलों में लगने वाली आग केवल संयुक्त राज्य अमेरिका (कैलिफ़ोर्निया, 2020), ब्राज़ील (अमेज़ॅन वन, 2019-2020) या ऑस्ट्रेलिया (2019-20) जैसे देशों तक ही सीमित नहीं है. हर साल भारत के कई राज्यों के जंगल भी आग की चपेट में आते हैं. मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि हाल के महीनों में उड़ीसा के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में जंगल में आग लगी है. इस...
More »कोरोना : ‘Restore Earth’ की नकली कोशिशें हमें यह समझने नहीं देती कि ऑक्सीजन लेवल क्या होता है
-द प्रिंट, मुफ्त की एक कीमत होती है जो समय पर ना चुकाई जाए तो उसका ब्याज सांसें चुकाती हैं. इसी तरह प्रकृति शोषण आधारित इमारतों का एक सीटूसी यानी कास्ट टू कंट्री होता जो पीढ़ियों को चुकाना होता है. बानगी देखिए हलांकि नारों में डूबा समाज इस उदाहरण को एक व्हाट्स्एप जोक से ज्यादा अहमियत नहीं देता– सुप्रीम कोर्ट की एक आकलन कमेटी ने एक पेड़ की सालाना कीमत 74,500...
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