जनसत्ता 2 अक्तूबर, 2013 : गांधीजी ने ग्राम स्वराज्य का सपना देखा था। लेकिन आजादी मिलने के बाद जो विकास नीति अपनाई गई, उसमें इस सपने के लिए कोई जगह नहीं थी। इसीलिए ग्रामीण इलाकों से शहरों की तरफ पलायन हमारे नीति नियंताओं को कभी चुभा नहीं। सकल राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र की घटती हिस्सेदारी भी उन्हें चिंतित नहीं करती। भारत के गांवों में आजादी के बाद कैसा बदलाव हुआ? इतने...
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प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
More »प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती- सुभाष शर्मा
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
More »भूमिहीन परिवार बनें जमीन के मालिक
वनाधिकार पट्टा योजना इस योजना के तहत सरकार वैसे आदिवासी परिवारों को बसने और जीवन यापन के लिए वनभूमि पर अधिकार का पट्टा देती है, जिस भूमि पर कोई आदिवासी परिवार लंबे समय से बसा हुआ हो. इस तरह की जमीन अहस्तांतरणीय और गैर व्यावसायिक होती है. यानी पट्टे पर मिली वन भूमि पर आदिवासी परिवार घर बना कर खुद रह सकता है और उस जमीन पर खुद के खाने लायक...
More »भूमिहीन परिवार बनें जमीन के मालिक
इस योजना के तहत सरकार वैसे आदिवासी परिवारों को बसने और जीवन यापन के लिए वनभूमि पर अधिकार का पट्टा देती है, जिस भूमि पर कोई आदिवासी परिवार लंबे समय से बसा हुआ हो. इस तरह की जमीन अहस्तांतरणीय और गैर व्यावसायिक होती है. यानी पट्टे पर मिली वन भूमि पर आदिवासी परिवार घर बना कर खुद रह सकता है और उस जमीन पर खुद के खाने लायक फसल उपजा...
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