वाशिंगटन। वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने स्वीकार किया कि आर्थिक सुधारों की रफ्तार धीमी पड़ी है और 2014 के आम चुनाव से पहले प्रमुख सुधारों को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। बसु ने दावा किया कि अगले आम चुनाव के बाद वर्ष 2015 से भारत विश्व की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा। उन्होंने कहा कि यदि आम चुनाव के बाद पूर्ण...
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बढ़ती बेरोजगारी के बीच-गिरीश मिश्र
नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
More »बढ़ती बेरोजगारी के बीच- गिरीश मिश्र
नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
More »सुधारों को नहीं मिली तेज धार ।।सुरजीत एस भल्ला।।
यूपीए सरकार की दूसरी पारी शुरू होने के कुछ महीने बाद ही लेहमैन ब्रदर्स और एआइजी जैसे बड़े नामों को ढहने के साथ ही वैश्विक आर्थिक मंदी की शुरुआत हो गयी थी. यूरोप की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और अमेरिका आर्थिक मंदी के भंवर से आज तक नहीं निकल पाये हैं, वहीं भारत मंदी के बाद भी आठ फ़ीसदी की विकास दर बरकरार रखने में कामयाब रहा था. यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार के कहर...
More »मंदी की आहट- परंजय गुहाठाकुर्ता
देश की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से नीचे जा रही है, उसके कई निहितार्थ हैं। अभी डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड गिरावट तक पहुंच गया है। गिरते-गिरते रुपया पहली बार ५३ के स्तर तक पहुंचा है। औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) भी गिरकर अक्तूबर में -५.१ प्रतिशत पर आ गया है। औद्योगिक उत्पादन में शामिल सभी क्षेत्रों में कमोबेश गिरावट देखी गई है। इतना ही नहीं, इस वर्ष देश का...
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