-गांव सवेरा, जिस आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 को केंद्र सरकार ने तीन नये कृषि कानूनों के तहत बदलकर स्टॉक लिमिट लगाने और स्टॉक मानिटरिंग के प्रावधानों को लगभग असंभव कर दिया था उसी के सहारे खाद्य तेलों की बेलगाम कीमतों पर अंकुश लगाने का फैसला केंद्र सरकार ने किया है। इस कानून के तहत खाद्य तेलों और तिलहनों के स्टॉक डिक्लेयर करने का प्रावधान लागू किया जा रहा है और इसके लिए...
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कोविड-19 लॉकडाउन: सरकार द्वारा जीडीपी में काफ़ी ज़्यादा वृद्धि का भ्रम फैलाया जा रहा है
-द वायर, विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा है कि अप्रैल-जून 2021 के दौरान भारत की जीडीपी में 20.1 फीसदी की वृद्धि ‘चौंकाने वाली बुरी खबर’ है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी प्रचार मशीनरी इसे बड़े आर्थिक सुधार के रूप में दिखा रही है. आखिर क्यों एक ही आंकड़े का एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न मतलब निकाला जा रहा है? बसु ने इसे सरल शब्दों में बताया है. दरअसल अप्रैल-जून...
More »नागपुर पुलिस के अचानक रेड लाइट एरिया बंद कर देने से सेक्स वर्कर्स पर आजीविका का संकट
-द वायर, नागपुर शहर के बीचों-बीच 250 साल पहले बने रेड लाइट एरिया ‘गंगा-जमुना’ की ओर जाने वाले 16 रास्तों में से 15 को पुलिस ने बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया गया है. हर एंट्री पॉइंट पर कम से कम तीन पुलिसकर्मी और सीसीटीवी कैमरे से लैस एक पुलिस वैन दिन-रात चौकसी करते देखे जा सकते हैं. इस तीन एकड़ क्षेत्र में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144, जिसका अर्थ...
More »तालिबानी सरकार देश चलाने के लिए चीन पर निर्भर!
-न्यूजलॉन्ड्री, तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि उनकी सरकार वित्तीय सहयोग के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर होगी और चीन की मदद से वे देश का आर्थिक पुनर्निर्माण करेंगे. उन्होंने चीन को अपना मुख्य सहयोगी बताते हुए यह भी कहा कि तालिबान चीन द्वारा निर्मित हो रहे नए सिल्क रूट (बेल्ट-रोड परियोजना) को बहुत सम्मान के साथ देखता है. मुजाहिद चीन को अफगानिस्तान के लिए वैश्विक...
More »नवीनतम पीएलएफएस डेटा, विभिन्न प्रकार के श्रमिकों के बीच अल्प-रोजगार और स्वपोषित रोजगार में अवैतनिक सहायकों पर प्रकाश डालता है
आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...
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