राज्य सरकारों को पांचवी और आठवीं कक्षा में परीक्षा आयोजित कराने का अधिकार देने वाला ‘नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) बिल- 2017' गुरुवार को राज्यसभा से पारित हो गया। विधेयक लोकसभा से बीते मानसून सत्र में पारित हो चुका था। अब इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। संशोधित विधयेक में कक्षा में अनुत्तीर्ण होने की स्थिति में बच्चों को कक्षा में रोकने या नहीं...
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साढ़े तीन माह से बिना वेतन पढ़ा रहे शिक्षक
68500 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में चयनित जिले के शिक्षकों को साढ़े तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। वेतन के लिए नवनियुक्त शिक्षक बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का चक्कर काटकर थक चुके हैं लेकिन प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं होने के कारण भुगतान नहीं हो पा रहा है। सर्वाधिक परेशानी दूसरे जिलों से आकर पढ़ा रहे शिक्षकों को हो रही है।. 68500 भर्ती के तहत जिले में...
More »हकीकत को जानने का नया औजार-- कार्तिक मुरलीधरन
सरकारी दफ्तरों में बैठे हुए हाकिमों को ‘जमीनी हकीकत' जानने में जो समस्या पेश आती है, वह कोई नई नहीं है। इतिहास बताता है कि अशोक से लेकर अकबर तक तमाम सम्राट सच जानने के लिए वेश बदलकर अपने राज्य में घूमा करते थे। आज भी हमारी सरकारों के लिए यह जानना एक बड़ी चुनौती है कि उनकी जन-हितकारी योजनाएं कैसी चल रही हैं? कनिष्ठ अधिकारी अक्सर इन योजनाओं...
More »बचपन का बोझ कम करने के लिए- हरिवंश चतुर्वेदी
स्कूली बच्चों और अभिभावकों के लिए यह अच्छी खबर है। अब पहली से दसवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए स्कूली बैग का वजन निर्धारित कर दिया गया है। मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित क्षेत्रों को निर्देश दिए गए हैं कि अब स्कूली बच्चों के बैग का वजन वही होगा, जो कि मंत्रालय ने निर्धारित किया है। अब पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के बैग...
More »बौद्धिक स्वतंत्रता और राष्ट्रहित- मणींद्र नाथ ठाकुर
ऐसा क्या हो गया है कि भारत के बुद्धिजीवियों को राष्ट्रविरोधी होने का खिताब मिल रहा है? क्या स्वतंत्र चिंतन, सरकारी नीतियों की आलोचना राष्ट्रहित में नहीं है? आखिर उन्हें क्यों लगता है कि व्यवस्था गरीबों के हित में नहीं है? और यदि यह सही है, तो फिर व्यवस्था को ठीक करने का क्या उपाय किया जा सकता है? क्या यह भारतीय बुद्धिजीवियों का दायित्व नहीं है कि वे...
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