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नकली नक्सली-अनुपमा और निराला की रिपोर्ट.

झारखंड में माओवादी कमजोर हुए हैं मगर उनके इस सबसे बड़े गढ़ में माओवाद के नाम पर चलने वाले आपराधिक संगठनों की कोई कमी नहीं है. अनुपमा और निराला की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय 27 मार्च, 2013. झारखंड में चतरा जिले का लकड़मंदा गांव. बिहार सीमा के पास बसे इस इलाके का सन्नाटा आधी रात को अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से टूट गया. पास के जंगल में हो रही भयानक गोलीबारी...

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माइक्रोफाइनांस और गरीबी- भरत झुनझुनवाला

भारत सरकार का गरीब तबके को छोटे ऋण यानी माइक्रोफाइनेंस देने पर जोर है. इन ऋणों को अधिकतर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के माध्यम से वितरित किया जाता है. सोच है कि ऋण से महिलाएं बकरी, दूध, परचून, फेरी आदि के धंधे कर सकेंगी. उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. इसी तरह से बांग्लादेश के मोहम्मद युनूस द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक द्वारा करीब 40 लाख महिलाओं...

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देवकी जैन: आम औरत की खास अर्थशास्त्री

केवल संयोगवश एक अर्थशास्त्री और नारीवादी बनी देवकी जैन विकासशील विश्व की प्रमुख ‘नारीवादी अर्थशास्त्री’(फेमिनिस्ट इकोनॉमिस्ट) हैं. उच्च अध्ययन के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के रस्किन कॉलेज गयीं, भारत लौट कर देवकी जैन ने भारतीय सहकारी आंदोलन के लिए काम करना शुरू किया. वह विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में शामिल हो गयीं और पदयात्र की. 1966 में प्रसिद्ध गांधीवादी अर्थशास्त्री लक्ष्मी चंद जैन से विवाह किया. संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हेतु किताब के...

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कमलनाथ के क्षेत्र में बिना मंजूरी के बन रहा है बांध..

अंबरीश कुमार, लखनऊ। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सीमा पर स्थित पेंच नदी पर 41 मीटर का बड़ा बांध केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के निर्वाचन क्षेत्र में बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के बन रहा है। यह आरोप जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की सदस्य मेधा पाटकर ने लगाया है। मेधा पाटकर ने पेंच परियोजना के खिलाफ आंदोलन छेड़ने से पहले जनसत्ता से बात करते हुए यह जानकारी दी। इस परियोजना में बांध क्षेत्र...

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भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का कठिन दौर-सुरेंद्र किशोर

जनसत्ता 22 अक्टुबर, 2012: भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर भी देश का लगभग पूरा राजनीतिक वर्ग आरोपितों का इन दिनों अतार्किक ढंग से बचाव करता नजर आ रहा है। कोई दल या नेता अपनी कमी या गलती मानने को आज तैयार नहीं है। सुधरने का तो कहीं से दूर-दूर तक कोई संकेत नहीं। इससे भी, भ्रष्टाचार की समस्या की गंभीरता का पता चलता है। देश के अधिकतर नेताओं के ताजा रुख...

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