गाँव सवेरा, 20 अगस्त आए दिन किसानों की आत्महत्या कि खबर पढ़ने और सुनने को मिलती है. तमाम प्रयासों और कोशिशों के बाद भी किसानों की आत्महत्या की सिलसिला नहीं रुक रहा है. 8 महीने में करीब 600 किसानों ने की आत्महत्या क्या मराठवाडा कृषि संकट का सामना कर रहा है. किसान संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि मौसम की घटनाओं की बजाय किसानों की स्थिति...
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गन्ने की 72 करोड़ बकाया पेमेंट के लिए सड़कों पर उतरे पंजाब के दोआबे के किसान
गांव सवेरा, 13 अगस्त पंजाब के जालंधर-लुधियाना नेशनल हाइवे पर गन्ने की बकाया पेमेंट न मिलने के कारण पिछले पांच दिन से आंदोलित किसानों ने हाइवे को दोनों तरफ से जाम कर दिया है. किसानों ने एक चीनी मिल द्वारा अपने बकाया 72 करोड़ रुपये के भुगतान में देरी का विरोध करते हुए 8 अगस्त को जालंधर-लुधियाना नेशनल हाइवे पर आंदोलन शुरू किया था. किसानों ने भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के बैनर...
More »अनानास उगाने वाले किसान ढूंढ रहे हैं मंडी, लॉकडाउन ने किया था बर्बाद
डाउन टू अर्थ, 08 अगस्त बिहार के पूर्वोत्तर छोर पर स्थित किशनगंज जिला को चाय और अनानास की खेती खास बनाती है लेकिन लॉकडाउन का धक्का खाने वाले किसान अब मंडी की कमी के चलते सही भाव नहीं हासिल कर पा रहे हैं। अब इलाके में एक प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है ताकि अनानास उगाने वाले किसानों को उनकी उपज का सही दाम हासिल हो सके। किशनगंज में मुख्य...
More »पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में हुई हैं किसानों की सबसे अधिक आत्महत्याएं
गांव सवेरा,02 अगस्त हाल में किये गए एक सर्वे के मुताबिक सबसे अधिक आत्महत्याएं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में हुई है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के एक अध्ययन से पता चला है कि पंजाब के छह जिलों में साल 2000 से 2018 के बीच आत्महत्या से 9,291 किसानों की मौत हुई है. सर्वेक्षण में शामिल जिलों में संगरूर, बठिंडा, लुधियाना, मानसा, मोगा और बरनाला शामिल हैं. सर्वेक्षण किए...
More »100 रुपये में डीजल, 250 रुपये घंटा सिंचाई दर; सावन में खेतों में उड़ रही धूल
जनचौक, 25 जुलाई प्रयागराज। सावन के महीने में यूपी में खेतों में धूल उड़ रही है। पिछले साल बारहों महीने बेतहाशा बरसने वाले बादल इस साल मानसून में भी नहीं आये। आषाढ़ बीत गया। खेतों में बेहन रोपनी की राह देखते-देखते चेहरे पत्थर हो चले हैं। रोपनी गीत स्त्रियों के गलों में ही दबे रह गये। जो लोग कहीं से पानी का जुगाड़ करके धान की रोपाई कर भी दिये हैं...
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