झाबुआ। झाबुआ के आधा दर्जन गांवों में कुपोषण व बीमारियों से तीन माह में हुई 43 बच्चों की मौत ने झाबुआ से लेकर दिल्ली तक कोहराम मचा दिया है। प्रशासन व प्रदेश सरकार जहां इन मौतों से पल्ला झाड़ एक सिरे से नकार रही है। वहीं यह मामला यूनिसेफ व संयुक्त राष्ट्र संघ में गूंजने से केन्द्र सरकार भी सतर्क हो गई है। यही कारण है कि आनन-फानन में केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री कृष्णा...
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सपना हो जाएगी महुए की डोभरी !
बांदा। महुआ के फूल से बनी 'डोभरी' जंगल में बसे जनजातियों के लिए अब सपना हो जाएगी। 'डोभरी' जनजातियों के जीवन का एक प्रमुख सहारा रहा है। कोलुहा जंगल में पीढि़यों से बसे जनजातियों को अब भूखे पेट रात बितानी होगी। वन संपदा पर दबंगों की हुकूमत व सूखे की मार से मुंह का निवाला छिन गया है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के फतेहगंज क्षेत्र के कोलुहा जंगल में पीढि़यों से बसे जनजातीय...
More »बाग-बाग बौराए, मंजर-मंजर मंजरी!
वाराणसी, [राकेश चतुर्वेदी]। बाग-बाग बौराए, मंजर-मंजर मंजरी। नथुनों में समाती एक मादक गंध और सपनों का तनता हुआ एक आकाश। बौराए हुए आम के दरख्तों की आत्मकथा। किसे अच्छा नहीं लगता- फलों का होना व उनका इतराना। पूर्वी उत्तर प्रदेश की माटी में इन दिनों आम की बौराई हुई गंध लोगों को मदमस्त किए हुए है। कोई ऐसा कोना नहीं है जो आम की सुगंध से सुवाषित न हो। आम की एक-एक दरख्त में ऐसे असंख्य...
More »गढ्डे के पानी से प्यास बुझा रहे 200 परिवार
जमशेदपुर [मनोज सिंह]। भले ही शुद्ध पेयजल हर नागरिक का मौलिक अधिकार हो, लेकिन शहर के पाश इलाके भाटिया बस्ती से सटी बागेबस्ती में रहने वालों के लिए यह मजाक बनकर रह गया है। इस बस्ती के 200 से अधिक परिवारों के लिए शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। जीवनदायिनी खरकई नदी का दुर्गध व कीड़ा युक्त पानी बजाए जीवन देने के बीमारी का कारण बन गया है। बस्ती में उत्क्रमित मध्य विद्यालय...
More »पुरखों की जमीन दी, बदले में क्या मिला.. !!
राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू और जयपाल सिंह मुण्डा आए थे और गांव वालों को समझा बुझा कर विकास के नाम पर जमीन ले लिया था. आज पचास सालों के बाद विस्थापितों के हालात भिखमंगों की तरह हो गई है. उन्ही विस्थापितों में से एक हैं लुसिया तिर्की जो मंदिरा डैम से उजाड़ दी गई. उनका कहना है कि जमीन का कागज अभी तक...
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