बहुत ही छोटा-सा शब्द है घर। लेकिन शायद इससे ज्यादा महत्व और मायने से भरा शब्द किसी इन्सान के लिए है ही नहीं। इसका होना उसको 'अपना' कहने वाले को पहचान, परिभाषा, संरक्षण- सब कुछ देता है। इसलिए बेघर हो जाने से बड़ी सजा किसी को नहीं दी जा सकती। ऐसा नहीं है कि राहुल की मां अकेले ही बेघर हुई। 15 साल पहले, जनवरी के सर्द दिनों में उनके...
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बीस बरस से लापता थे ये सात गांव
यूपी के मुजफ्फरनगर में भू घोटाले के बाद खादर में जमीन की पैमाइश शुरू हुई तो एक मामले ने सबको चौंका दिया है। सात ऐसे गांव सामने आए हैं, जो लगभग 20 साल पहले गंगा की धारा बदलने से गंगापार पहुंच गए। इतना ही नहीं मुजफ्फरनगर जिले के यह गांव आज भी यहां के रिकार्ड में दर्ज हैं। मजेदार बात यह है कि गंगापार गए इन गांवों के ज्यादातर लोगों ने...
More »जंगल से सीखें कुपोषण का इलाज- प्रताप सोमवंशी
ओडिशा देश के पिछड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य के आदिवासी इलाके अकाल, भुखमरी, कुपोषण के विशेषण को अपनी पहचान के साथ ढोते रहते हैं। इन्हीं आदिवासी इलाकों का एक दूसरा सच भी जान लीजिए- लिविंग फार्म की ओर से दो जिलों के छह गांवों की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक यहां खाने-पीने की 121 चीजें पाई जाती हैं। इनमें 30 किस्म के मशरूम, जिसे स्थानीय बोली में...
More »संसदीय समिति ने रेलवे के तत्काल किराये पर लगायी फटकार
लोकलेखा समिति गुरुवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में तत्काल टिकटों की बिक्री और मूल्य व्यवस्था को गरीब विरोधी बताया है. पेश की गयी समिति की 11वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्काल टिकटों की व्यवस्था अंतिम समय पर यात्रा का निर्णय लेने वाले यात्रियों की सहूलियत के लिए शुरू की गयी थी. इसका लाभ सभी वर्ग के यात्रियों को मिलता चाहिए था, लेकिन हाल के वर्षों में रेलवे...
More »नौकरशाहों से मुक्त हो नया आयोग- भरत झुनझुनवाला
प्रभात खबर(लेख)नये योजना आयोग में ऐसे लोगों की नियुक्ति हो, जिनकी पहचान स्वतंत्र हो, ताकि सरकार का दखल न हो. ऐसे स्वतंत्र आयोग की देश को नितांत जरूरत है. सरकारी नौकरों के एक और समूह को योजना आयोग का जामा पहनाने से काम नहीं चलेगा. हाल में संपन्न हुए मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में सहमति बनी कि योजना आयोग द्वारा राज्यों के वार्षिक प्लान को स्वीकार करने की व्यवस्था को समाप्त कर...
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