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कैबिनेट के पास जाएगा भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक-प्रमोद कुमार सुमन

नई दिल्ली. ग्रामीण विकास मंत्रालय भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक-2007 का मसौदा केंद्रीय कैबिनेट को जून के दूसरे सप्ताह में भेज सकता है। 'भास्कर' से विशेष बातचीत में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री विलासराव देशमुख ने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। बुधवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की ओर से सुझाव दिए गए। इनके बारे में देशमुख ने कहा कि मंत्रालय...

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राडिया टेपों पर लिखी किताब के विमोचन पर रोक

नयी दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कारपोरेट जगत के लिए लाबिंग करने वाली नीरा राडिया को राहत प्रदान करते हुए उनके विवादास्पद टेपों पर अधिवक्ता आरके आनंद द्वारा लिखी गई किताब के विमोचन और वितरण पर आज रोक लगा दी. टेपों में राडिया की कई बड़ी हस्तियों से टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत दर्ज है. न्यायमूर्ति वीके जैन ने वैष्णवी कारपोरेट कम्युनिकेशंस की निदेशक राडिया को यह कानूनी राहत उनके आग्रह पर दी. राडिया...

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मजदूरों के हाथ-पांव में कीलें ठोंकी

रोजी-रोटी की तलाश में झारखंड से चेन्नई गये छह मजदूरों को नक्सली कह कर पीटा गया, उनके पैरों में कीलें ठोंकी गयी. हर साल लगभग पचास हजार मजदूर काम की तलाश में बाहर जाते हैं. अन्य राज्यों में यहां से काम और पढ़ाई के लिए गये मजदूरों व छात्रों को कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है. रांची के दो छात्रों की मुंबई में हुई हत्या भी साबित करती है कि झारखंड...

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‘तुम हमें जमीन दो, हम तुम्हें फायदे में हिस्सा देंगे’ : हरीश गुप्ता

नई दिल्ली.  एक 'लोकलुभावन' पहल के तहत खनन मंत्रालय ने प्रस्ताव किया है कि कंपनियों ने जिन लोगों की जमीन खनन के लिए अधिग्रहीत की हैं, उन्हें लाभ का एक निश्चित हिस्सा दिया जाएगा। उधर ग्रामीण विकास मंत्री विलासराव देशमुख ने तो इससे भी आगे बढ़कर मास्टर स्ट्रोक जड़ दिया है।  उत्तरप्रदेश के भट्टा परसौल में मायावती सरकार की जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया के विरोध में किसानों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र...

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लोकतंत्र का लट्ठ- रेयाज उल हक (तहलका)

भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...

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