-न्यूजलॉन्ड्री, हर्षित उत्तराखंड के गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय से बीएससी कर रहे है. कोरोना के कारण विश्व विद्यालय शुरुआत में 31 मार्च तक के लिए बंद हुआ. इस कारण कुछ दिनों की छुट्टियों के लिए वो चमोली जिले में स्थित अपने घर चले गये. कोरोना का संकट बढ़ा तो विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी. लेकिन हर्षित पढ़ नही पा रहा, क्योंकि गांव में नेटवर्क ही नही आता. एक दोस्त से...
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अमीरों-नेताओं के चुनावी बॉन्ड की छपाई और बैंक कमीशन का ख़र्च करदाता उठा रहा: आरटीआई
-द वायर, देश के विभिन्न वर्गों द्वारा चुनावी बॉन्ड पर सवाल उठाए जाने और सुप्रीम कोर्ट में इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका लंबित होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार इसकी छपाई जारी रखे हुए है. आलम ये है कि अब तक में करीब 19,000 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की छपाई हो चुकी है और कुल 13 चरणों में 6200 करोड़ रुपये से ज्यादा के चुनावी बॉन्ड की बिक्री...
More »गेहूं की सरकारी खरीद 252 लाख टन के पार, सबसे बड़े उत्पादक राज्य की हिस्सेदारी पांच फीसदी से भी कम
-आउटलुक, चालू रबी विपणन विपणन सीजन 2020-21 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बढ़कर 252.50 लाख टन की हो गई है। जिसमें सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 4.80 फीसदी ही है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद जोरों पर चल रही है लेकिन उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान से खरीद सीमित मात्रा में ही हो...
More »कोरोना: लॉकडाउन में मनरेगा योजना बन गई है मज़दूरों की लाइफ़लाइन
-बीबीसी, छत्तीसगढ़ सरकार ने महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी योजना में पूरे देश में सबसे अधिक मज़दूरों को काम देने का दावा किया है. भारत सरकार के शनिवार तक के आंकड़ों के अनुसार ई-मस्टर रोल में दर्ज संभावित कार्यशील मज़दूरों की संख्या छत्तीसगढ़ में 23,26,252 है. मज़दूरों की यह संख्या पूरे देश में सबसे अधिक है. इसके अलावा पिछले 9 दिनों में ही छत्तीसगढ़ ने 1 करोड़ 89 लाख मानव दिवस का रिकार्ड...
More »लॉकडाउन: राष्ट्र की रेल और श्रमिक का शरीर
- द वायर, ‘यह हादसा कतई नहीं…’ अंग्रेज़ी अखबार टेलीग्राफ की यह सुर्खी एक सच्चे दिल से निकली चीख है. रुंधे गले से निकली यह चीख एक अधूरा वाक्य है. वाक्य पूरा यही हो सकता है- ‘यह हादसा कतई नहीं, हत्या है.’ हत्या किसने की? हत्यारा निश्चय ही वह ड्राइवर नहीं है, जो मालगाड़ी की रफ्तार को काबू नहीं कर सकता था जब वह रेलवे लाइन पर सिर टिकाए, गहरी नींद में...
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