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प्रतिकूल मौसम से गेहूं की सरकारी खरीद 11%घटने की संभावना- आर एस राणा

चालू रबी विपणन सीजन 2014-15 में गेहूं की सरकारी खरीद तय लक्ष्य से 11.2 फीसदी घटकर 270-275 लाख टन ही होने की आशंका है। असमय की बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है, साथ ही रोलर फ्लोर मिलर्स, निर्यातकों और स्टॉकिस्टों द्वारा गेहूं की ज्यादा खरीद किए जाने की संभावना है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चालू रबी विपणन सीजन 2014-15 में गेहूं की...

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इस बार के चुनाव में खेती-किसानी मुद्दा क्यों नहीं है- हरवीर सिंह

इंदिरा गांधी के इमरजेंसी राज के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस जनता पार्टी ने सत्ता से बेदखल किया, उसका चुनाव चिह्न हलधर था। उस चुनाव का एक नारा था, देश की खुशहाली का रास्ता खेतों और गांवों से होकर जाता है। साफ है कि तब राजनीति के केंद्र में किसान और गांव-देहात था। अब सोलहवीं लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस चुनाव में मध्यवर्ग,...

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उतने बीमार भी नहीं हैं बीमारू राज्य- सुभाष गाताडे

कई बार कुछ सर्वेक्षण ऐसे नतीजे को सामने लाते हैं, जो हमारे सहज बोध से विपरीत जान पड़ते हैं। भारत के मानव विकास सूचकांक के ताजे आंकड़े इसी की मिसाल हैं। योजना आयोग के अंतर्गत कार्यरत इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड मैनपावर रिसर्च (आईएएमआर) के हालिया आंकड़े के मुताबिक, ऐसे गरीब कहलाने वाले राज्यों में मानव विकास सूचकांक अब तेजी से राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच रहा है, जहां हाशिये पर पड़े...

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मध्यप्रदेश की आर्थिक विकास दर विकसित राज्यों में सबसे ज्यादा

भोपाल. मध्यप्रदेश ने आर्थिक विकास दर के मामले में विकसित राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। इसका कारण राज्य में प्राइमरी सेक्टर में महत्वपूर्ण काम होना रहा। वर्ष 2013-14 में प्रदेश की आर्थिक विकास दर 11.08 प्रतिशत दर्ज की गई। वह भी ऐसी स्थिति में जब देश की आर्थिक विकास दर 4.86 फीसदी ही रही। यह बात केंद्रीय आर्थिक सांख्यिकी विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में सामने आई है।  रिपोर्ट के अनुसार उत्तरप्रदेश,...

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बदलते वातावरण के बीच खेती-बाड़ी की चुनौतियां- नई रिपोर्ट

देश की कृषि को दुनिया की कुल कृषि-भूमि का महज 2.4 फीसदी और कुल जल-संसाधन का सिर्फ 4.0 प्रतिशत हासिल है। तो, क्या इस सीमित संसाधन के बूते भारतीय कृषि दुनिया की 17.5 फीसदी आबादी(भारतीय) का पेट भरने की चुनौती सफलतापूर्वक निभा सकेगी ?   हाल के सालों में इस चुनौती ने और भी ज्यादा गंभीर रुप धारण किया है क्योंकि वैश्विक तापन(ग्लोबल वार्मिंग) और उससे जुड़े पर्यावरणगत बदलावों के कारण देश...

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