हमारे देश में पहले और आज की राजनीति में कितना फर्क आ गया है। पहले देश की राजनीति एक बड़ी हद तक मूल्यों पर चलती थी। राजनीतिक दल और मतदाता दोनों ही कहीं न कहीं नैतिकता व आदर्शों का पालन कर राजनीतिक गरिमा बनाए रखते थे। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब राजनीतिक दल चुनावों के समय जिस तरह मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन घोषणाएं करते...
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एक आइडिया से बदहाल गांव बना खुशहाल
मिसाल : लापोड़िया गांव के लक्ष्मण अब तक लगा चुके हैं 60 लाख से ज्यादा पेड़ पिछले दिनों एक्सएलआरआइ,जमशेदपुर ने सामाजिक उद्यमिता पर तीन दिनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था. इस सम्मेलन में देशभर के 100 से ज्यादा सामाजिक उद्यमियों ने हिस्सा लिया था. इसी कार्यक्रम में भाग लेने लक्ष्मण सिंह भी आये थे, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए लगभग 300 एवार्ड मिल चुके हैं. जानिए इस...
More »नौकरियां कहां हैं?-- संदीप मानुधने
एक सौ तीस करोड़ से अधिक की जनसंख्या के हमारे देश में हमें लगातार बताया गया है कि अधिकांश आबादी युवा है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. यह तर्क मैंने 1997 के बाद से लगभग हर राजनेता को इस्तेमाल करते देखा. तब उम्मीदें आसमान तो छू रही थीं, क्योंकि वैश्वीकरण के चलते हर तरह की तरक्की का वादा हमसे हुआ था, (और कुछ हद तक वैसा हुआ भी)....
More »झारखंड-- राज्य के 37 बैंकों के 4642 करोड़ डूबने के कगार पर
रांची : झारखंड के 37 बैंकों के 4642.51 करोड़ रुपये डूबने के कगार पर हैं. बैंकों ने यह राशि विभिन्न लोगों, संस्थानों और कंपनियों को लोन के रूप में दी थी. पर बैंकों के ये पैसे वापस नहीं मिल पाये. बैंकों ने इस राशि को नन परफार्मिंग एसेट(एनपीए) घोषित कर रखा है. बैंकों ने इससे संबंधित ब्योरा सरकार को सौंपा है. राज्य में एनपीए की वृद्धि दर 13.18 प्रतिशत तक...
More »रिजर्व बैंक ने फिर से घटाया आर्थिक विकास का अनुमान
नई दिल्ली। नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था पर बेहद असर डाला है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने चालू वित्त वर्ष 2016-17 के लिए देश के आर्थिक विकास के अनुमान को एक बार फिर घटा दिया है। आरबीआइ का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2016-17 में अर्थव्यवस्था 6.9 फीसद की दर से बढ़ेगी। केंद्रीय बैंक ने दिसंबर, 2016 में ही अपने विकास अनुमान को 7.6 से घटाकर...
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