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खुद की अदालत में मीडिया-- मृणाल पांडे

हमारे साहित्य या मीडिया में खुद अपने भीतरी जीवन की सच्चाई जिक्री तौर से ज्यादा, फिक्री तौर से कम आती है. मसलन दर्शक-पाठक भली तरह जान चुके हैं कि मीडिया के भीतर कैसी मानवीय व्यवस्थाएं हैं, खबरें कैसे जमा या ब्रेक होती हैं. पत्रकारों के बीच एक्सक्लूसिव खबर देने के लिए कैसी तगड़ी स्पर्धा होती है. लेकिन, पिछले दो दशकों में उपन्यासों, कहानियों या मीडिया पर लिखे जानेवाले काॅलमों में...

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पर्यावरण की चिंता जरूरी-- जगदीश रत्तनानी

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) लगभग आधी सदी पुरानी संस्था है. यह खुद को सार्वजनिक-निजी सहयोग करनेवाले अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में पेश करती है और वैश्विक आर्थिकी सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है. अपने सफर की शुरुआत में इस मंच ने विश्व की एक हजार प्रमुख कंपनियों के लिए सदस्यता की एक व्यवस्था बनायी थी. स्वाभाविक है कि इसने अपने सालों के सफर में भविष्य पर विचार करने के लिए महंगी...

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मुश्किल है इवीएम में छेड़छाड़-- जगदीप छोकर

इवीएम को लेकर बीते दिनों लंदन में हुए एक प्रेस कांफ्रेंस में जो बातें सामने आयीं, उसके बाद फिर से इवीएम हैकिंग पर चर्चा निकल पड़ी है. हालांकि, उस प्रेस कांफ्रेंस में जिस व्यक्ति को बोलना था, वह नहीं आया, लेकिन उसने स्काइप के जरिये अपनी बात रखी. उस प्रेस कांफ्रेंस में इवीएम के हैक होने को लेकर कोई सबूत नहीं रखा गया, सिर्फ बातें ही हुईं कि इसे हैक...

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आपराधिक मानहानि क़ानून ख़त्म होना चाहिए, राजद्रोह क़ानून की हो समीक्षा: जस्टिस लोकुर

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से 30 दिसंबर को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस मदन बी लोकुर ने बुधवार को कहा कि आपराधिक मानहानि को अपराध के रूप में परिभाषित करने वाले कानून को खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि राजद्रोह से जुड़ी धारा 124-ए की समीक्षा की आवश्यकता है. क़ानून और न्यायपालिका पर आधारित न्यूज़ पोर्टल ‘द लीफलेट' की ओर से ‘भारतीय न्यायपालिका की दशा' विषय पर हुए एक कार्यक्रम...

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जब सोच बदलेगी तो खिलेंगी बेटियां-- रमा गौतम

हमारा समाज बेशक आज मार्डन हो गया है। समाज के लोग यही कहते है कि हमने आज तक बच्चों में कोई फर्क नहीं किया और हमारे लिए तो बेटा-बेटी एक समान हैं। मगर, वास्तविकता कुछ और ही होती है। लड़कों के मामले में हम बहुत खुले विचार रखते हैं। मगर, लड़की की बात आते ही कहीं न कहीं हमारी सोच थोड़ी सिकुड़ जाती है, इसी के चलते सृष्टि को आगे...

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