जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ता जा रहा है। लांसेट जर्नल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार सन 2000 से 2017 के बीच में विश्व में करीब 15.70 करोड़ अतिरिक्त लोग भयंकर गर्मी के कारण जोखिम के दायरे में आ गए। यह आंकड़ा 2016 की तुलना में भी 1.8 करोड़ ज्यादा है। बढ़ती गर्मी से इन लोगों के स्वास्थ्य, रहन-सहन एवं कामकाज के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा हुई। रिपोर्ट में कहा गया...
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प्राथमिकता नहीं है पर्यावरण-- ज्ञानेन्द्र रावत
पर्यावरण क्षरण का प्रश्न आज समूचे विश्व के लिए गंभीर चिंता का विषय है. कई रिपोर्टों, वैज्ञानिक अध्ययनों और शोधों ने रेखांकित किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उपजे खराब मौसम से प्रलयंकारी घटनाएं बढ़ेंगी. तेजी से बढ़ते तापमान के चलते गर्मी में लोगों की मौत का सिलसिला बढ़ेगा. ग्लेशियरों का पिघलना तेज होगा, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ेगा. ऐसे में बाढ़ की विभीषिका का सामना करना आसान नहीं...
More »आपदा या बड़े खतरे की दस्तक-- एस. श्रीनिवासन
चक्रवाती तूफान गाजा बीते 16 नवंबर को तमिलनाडु में नागपट्टिनम और वेदारण्यम के तटीय जिलों से टकराया, और अपने पीछे सात दशकों की सबसे बड़ी तबाही के निशान छोड़ गया। इसे ‘गंभीर चक्रवाती तूफान' माना गया, जिसका अर्थ है कि हवा की गति प्रति घंटे 89 से 118 किलोमीटर थी। इसमें तेज हवा के साथ भारी बारिश भी हुई, जिससे तमिलनाडु के दर्जन भर जिले प्रभावित हुए। इस तूफान...
More »किसानों के प्रति उदासीनता- योगेन्द्र यादव
बीसवीं सदी के किसान नेता दीनबंधु चौधरी छोटू राम ने किसान को कहा था: 'ए भोले किसान, मेरी दो बात मान लें- एक बोलना सीख और एक दुश्मन को पहचान ले'. लगता है सौ साल बाद भारत के किसान ने उनकी बात सुन ली है. आज देशभर से 200 से अधिक किसान संगठन 'किसान मुक्ति मार्च' लेकर दिल्ली पहुंच रहे हैं. इस मार्च के जरिये किसान बोलना सीख रहे हैं....
More »45 परिवारों की जिंदगी झोपड़ी में, 55 वर्षों में न अनाज मिला
रामगढ़ शहर से 15 किलोमीटर दूर कुजू-घाटो मुख्य सड़क से उतरने पर बमुश्किल 200 मीटर दूर कुंदरिया बस्ती का मल्हार टोला़ इस टोले तक जाने के लिए पथरीली संकरी सड़क, जंगल के बीच एक ऊंचे टीले पर प्लास्टिक से बनी दर्जनों झोपड़िया़ं जंगल की सूखी झाड़ियों की घेराबंदी कर बांस-बल्ली में प्लास्टिक लगा कर लाेगाें ने 40 से 50 झोपड़ी बना लिये़ ये कोई खानाबदोश नहीं, बल्कि अपने झारखंड...
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