आम चुनाव के दौर में हिमाचल प्रदेश में बंदर और चमगादड़ भी मुद्दा बन गए हैं। दरअसल ये जीव फसलों का काफी नुकसान करते हैं जिसकी मार किसानों पर पड़ती है। यही वजह है कि राज्य के किसान इन जीवों से अपनी फसल बचाने के लिए किसी पुख्ता व्यवस्था की मांग सरकार से करते रहे हैं। बंदरों का उत्पात तो हिमाचल प्रदेश के चुनावों में पहले से गंभीर मुद्दा बनता रहा...
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चुनाव के समय ही उनकी याद आती है- अनुराग दीक्षित
लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को अचानक देश के मुसलमानों की याद आ गई है। हर दल खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में जुटा है। कांग्रेस नए-पुराने 15 सूत्रीय कार्यक्रमों समेत अपनी तमाम योजनाएं गिना रही है। वैसे यूपीए शासनकाल में अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन और अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति जैसे अहम काम हुए भी हैं। हां, यह बात अलग है कि प्रधानमंत्री भी अल्पसंख्यक कल्याण...
More »मध्य वर्ग का बहुत कुछ दांव पर- लीला फर्नांडिज
भारत का मध्यवर्ग लोकसभा चुनाव के केंद्र में है। नरेंद्र मोदी और भाजपा ने ‘नव मध्यवर्ग’ के तौर पर एक नई राजनीतिक पहचान देकर सुनियोजित ढंग से शहरी मध्यवर्ग को लुभाने की कोशिश की है। इस नई पहचान ने मध्यवर्ग की आकांक्षाओं को नए पंख दिए हैं। कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार से मध्यवर्ग को मिली मायूसी के कारण भाजपा की यह रणनीति काम करती दिख रही है। असमान आर्थिक विकास, बढ़ती...
More »वचन और प्रवचन के बीच- शंकर अय्यर
लोकसभा चुनाव के विजेता का पता तो 16 मई को ही चलेगा। हालांकि चुनावी सर्वेक्षणों ने पराजित होने वाले की घोषणा पहले ही कर दी है। सर्वेक्षण यह भी बताते हैं कि महंगाई, विकास और भ्रष्टाचार ही वे प्रमुख तीन मुद्दे हैं, जिन पर मतदाता वोट करेंगे। इसमें हैरत नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत पहले ही दहाई के पार जा रही खाद्य मुद्रास्फीति से त्रस्त है। जिनके पास नौकरी है, उन्हें उसे...
More »औरत के हक में नहीं- तस्लीमा नसरीन
लोकतंत्र बहुत ही सभ्य व्यवस्था है। लेकिन इस तंत्र में असभ्य और मूर्खों का भी ऐसा अबाध प्रवेश है कि कई बार लगता है, लोकतंत्र की स्थापना पर ही हमें रुक नहीं जाना चाहिए, बल्कि उसे और बेहतर करने के बारे में भी सोचना चाहिए। बचपन में मैंने दुर्गम गांवों के कुछ मतदाताओं को नाव चिह्न पर वोट देने जाते देखा था। वे सोचते थे कि नाव चिह्न पर वोट...
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