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सीवान के सदर अस्पताल में जमीन पर होता है मरीजों का इलाज- कृष्ण मुरारी पांडेय

सीवान/पटना. सीवान सदर अस्पताल में मेडिकल व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। राज्य स्वास्थ्य समिति अथवा स्थानीय स्वास्थ्य विभाग व्यवस्था को पटरी पर लाने की भले ही खूब बात करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सीवान सदर अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड में व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा चुकी है। अधिकारियों की उदासीनता यहां कभी भी देखी जा सकती है।   स्थिति यह है कि इमरजेंसी वार्ड में बेड पर तीमरदार आराम...

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अब 5 की जगह 10 सदस्यों के मुफ्त इलाज की तैयारी, केंद्र में भेजा प्रस्ताव

रायपुर. हेल्थ स्मार्ट कार्ड के जरिए अब एक परिवार के दस सदस्यों का इलाज हो सकेगा। अभी एक कार्ड में केवल पांच सदस्यों का ही इलाज किया जाता है। दरअसल स्मार्ट कार्ड में पांच से ज्यादा सदस्यों के नाम की एंट्री ही नहीं होती। इसका प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा गया है। इसका उद्देश्य है परिवार के सभी सदस्यों को मुफ्त इलाज मिले।   हेल्थ स्मार्ट कार्ड से अभी पूरे राज्य में एक...

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शिशु और मातृ-मृत्यु दर की चिंता- अंजलि सिन्हा

आम चुनाव की आपाधापी के दौरान रांची के पास नामकुम की चंद्रमुनि (25 वर्ष) की इलाज के अभाव में हुई मौत सुर्खियां नहीं बन सकीं. विडंबना है कि चंद्रमुनि खुद राज्य में सहिया अर्थात् गर्भवती महिलाओं के लिए अक्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट थीं, जिसने 15-20 महिलाओं की स्वास्थ्य प्रसूति में सहायता प्रदान की थी. चंद्रमुनि ने एक स्वस्थ्य बच्ची को जन्म दिया था, पर उसके बाद उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती...

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औसत भारतीय की उम्र में इजाफा- विश्व स्वास्थ्य संगठन

बीते दो दशकों में भारत में आयु-संभाविता बढ़ी है लेकिन इस मामले में भारत अभी चीन, ब्राजील और श्रीलंका से पीछे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट वर्ल्ड हैल्थ स्टैटिक्स 2014 के तथ्यों के अनुसार साल 1990 से 2012 के बीच भारत में स्त्री-पुरुष दोनों की आयु-संभाविता में बढोत्तरी देखी गई है। इस अवधि में पुरुषों के लिए आयु-संभाविता (जन्म के समय) 57 वर्ष से बढ़कर 66 वर्ष तक पहुंची है जबकि महिलाओं के मामले में 58...

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विकास के मॉडल का सवाल- के पी सिंह

जनसत्ता 22 मई, 2014 : चुनाव प्रचार के दौरान विकास के बहुतेरे मॉडल विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत किए गए। इससे पहले के चुनावों में भी विकास का कोई न कोई खाका पेश करके राजनीतिक दल मतदाताओं का विश्वास हासिल करते रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण और दुर्गम पहाड़ी अंचलों में अधिकतर नागरिक आज भी स्वच्छ पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे...

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