वुमेन फस्र्ट, प्रॉस्पेरिटी फॉर ऑल' विषय पर हैदराबाद में होने वाले आठवें ग्लोबल इंटरप्रिन्योरशिप सम्मेलन से ठीक पहले ‘कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' की एक रिपोर्ट में महिला उद्यमियों की वैश्विक स्तर पर स्थिति की विस्तार से चर्चा दिखती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘महिलाओं के साथ बिल्कुल अलग ही तरह का बर्ताव होता है। पुरुष निवेशक उनके प्रोजेक्ट में बहुत कम रुचि दिखाते हैं।' इस मामले में वैश्विक...
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भूख नहीं जानती सब्र-- संजीव पांडेय
दुष्यंत कुमार का शेर है : भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल संसद में है जेरे-बहस ये मुद्दआ। शायर इसमें हुक्मरानों की खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि वह जानता है कि भूख सब्र नहीं जानती। इसके बावजूद हमारी व्यवस्था गरीबों का इम्तहान लेती रहती है। महज कुछ दिनों के अंतर पर ही झारखंड में भूख से तीन मौतें हुर्इं; उस राज्य में जो खनिज संसाधनों...
More »देश में गैरबराबरी और भूख -- डॉ अनुज लुगुन
कुछ ही दिन पहले झारखंड के सिमडेगा जिले में संतोषी नाम की बच्ची की भूख से हुई मृत्यु कई बड़े-बड़े राजनीतिक दावों को झुठलाती है. हालांकि, मलेरिया और भूख के कारणों के बीच ही पूरा मुद्दा केंद्रित हो गया. लेकिन, यह बदलते समय में बुनियादी जरूरतों की पहुंच व उपलब्धता पर एक बड़ा सवाल है. सिमडेगा झारखंड के दक्षिणी हिस्से में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर जंगलों से...
More »मानसिक रोगों की फैलती जड़ें-- मोनिका शर्मा
महिलाओं के सशक्तीकरण की तमाम योजनाओं और तमाम स्त्री-विमर्श के बरक्स स्त्रियों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद््दे हाशिये पर हैं। विशेषकर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर तो न खुद महिलाएं सजग हैं और न ही समाज और परिवार में दिमागी अस्वस्थता के मायने समझने की कोशिश की जाती है। यही वजह है कि अनगिनत बीमारियों की जकड़न से लेकर बाबाओं के फेर तक, सब कुछ यह साबित करता है कि भारत...
More »बुढ़ापे में ज्यादा देखभाल की जरूरत-- आशुतोष चतुर्वेदी
मुमकिन है कि आपने यह ह्दयविदारक खबर पढ़ी हो. यह खबर किसी को भी झकझोर कर रख सकती है और समाज के लिए एक आईना है. यह खबर एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर भी इशारा करती है कि देश में वृद्धजनों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है और पुराना सामाजिक तानाबाना टूट चुका है. संयुक्त परिवारों का दौर गया और एकल परिवारों में मां-बाप के लिए स्थान नहीं...
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